16 मई को डेंगू दिवस क्यों मनाते हैं, जानिए इतिहास, कारण, लक्षण और सावधानियां

Webdunia
प्रथमेश व्यास
डेंगू बहुत ही गंभीर बीमारी है। भारत में हर साल इस बीमारी के चलते सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। बारिश में मौसम में इसका प्रकोप और अधिक भयावह हो जाता है। केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट की माने तो भारत में डेंगू के कारण हर साल करीब 40 हजार लोगों की मौत होती है। ऐसे में डेंगू को फैलने से रोकना तथा डेंगू से बचने के लिए लोगों को जागरूक करना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रतिवर्ष 16 मई को ' राष्ट्रीय डेंगू दिवस ' के रूप में इसी प्रयोजन के चलते मनाया जाता है। तो आइए जानते है डेंगू दिवस का इतिहास, लक्षण एवं रोकथाम के उपाय। ....
 
राष्ट्रीय डेंगू दिवस का इतिहास - 
भारत में डेंगू दिवस का इतिहास 3 दशक पुराना है। वर्ष 1990 के बाद के कुछ वर्षों में भारत के कई राज्यों में डेंगू के हजारों मरीज पाए गए थे। भारत सरकार और विश्व स्वास्थ संगठन के संयुक्त प्रयासों से इस आपदा पर काबू पाया गया। भारत सरकार ने ये माना कि डेंगू की रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। इसी उद्देश्य से हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। यह दिवस स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से मनाया जाता है। 
 
डेंगू के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य - 
1. डेंगू एडीज एजिप्टी प्रजाति की एक मादा मच्छर से फैलता है। 
2. मादा मच्छर के किसी इंसान को काटने के बाद 3-14 दिनों के अंदर शरीर में डेंगू लक्षण विकसित होने लगते हैं।
3. हालांकि डेंगू बुखार के इलाज के लिए कोई एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं, लेकिन शुरुआती नैदानिक ​​उपचार से रोगियों को मदद मिल सकती है। 
4. डेंगू से पीड़ित लोगों को सलाह दी जाती है कि वे तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें।
 
डेंगू के प्रमुख लक्षण -
1. तेज बुखार
2. सिरदर्द
3. मच्छरों के काटे हुए स्थान पर रैशेज 
4. मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
5. भूख न लगना
6. थकान
 
डेंगू से बचाव के तरीके -
1.  सप्ताह में कम से कम एक बार कूलर और अन्य छोटे कंटेनरों (प्लास्टिक के कंटेनर, बाल्टी, इस्तेमाल किए गए ऑटोमोबाइल टायर, वाटर कूलर, पालतू जानवरों के पानी के कंटेनर और फूलदान) से पानी निकाला जाना चाहिए।
 
2. पीने एवं दैनिक क्रियाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले पानी के कंटेनरों को हमेशा ढक्कन से ढंक कर रखना चाहिए। 
 
3. खासकर बरसात के मौसम में पूरी बाजू को ढंकने वाले कपड़े पहनना चाहिए। 
 
4. सोते समय हमेशा मच्छरदानी का प्रोयग करना चाहिए। 
 
5. अपने आप को मच्छरों के काटने से बचाने के लिए दिन में एरोसोल का प्रयोग करना चाहिए। 
 
6. ध्यान रहे कि कहीं भी पानी जमा न हो एवं आस-पास का वातावरण स्वच्छ बना रहे। 

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