नवरात्रि का व्रत : क्या कहता है आयुर्वेद

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आयुर्वेद नियमित और थोड़े-थोड़े समय के व्रत को सेहत की दृष्टि से फायदेमंद मानता है, लेकिन यह लोगों की शारीरिक संरचना, उनकी क्षमता और आंतरिक शुद्धिकरण की जरूरत पर भी निर्भर करता है। प्राचीन सभ्यताओं में पेट की सेहत और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए व्रत को सबसे उपयोगी साधन माना जाता था और आज भी हम उसका निर्वहन करते आ रहे हैं। 



 
गैस की समस्या को दूर करने, शरीर में हल्कापन, मानसिक रूप से स्पष्टता, स्वच्‍छ सांसों के साथ-साथ संपूर्ण सेहत को बेहतर बनाने का एक बेहतरीन जरिया है। इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि लंबे समय तक व्रत करने से शरीर पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है। लगातार काफी दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए रहने से शरीर के टिश्यूज क्षतिग्रस्त होने लगते हैं और शारीरिक असंतुलन का कारण भी बनते हैं।
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