एक बार फिर से नकली वैक्सीन के मामले सामने आ रहे हैं। लोगों को कोरोना की नकली वैक्सीन लगाई जा रही है। एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही तो दूसरी ओर लोगों को नकली कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है। अमेरिका, मैक्सिको और पौलेंड में भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं दक्षिण-पूर्व-एशिया और अफ्रीका क्षेत्र में नकली वैक्सीन के मामले सामने आ रहे है। इस बारे में केंद्र सरकार ने तो गाइड लाइन जारी की है लेकिन सर्टिफिकेट और कुछ माध्यम से भी नकली वैक्सीन की पहचान की जा सकती है। आइए जानते हैं कैसे -
जब भी आप वैक्सीन लगवाते हैं तो आपको तुरंत 5 मिनट बाद ही वैक्सीनेशन का कौन सा डोज लगाया है उसका मैसेज आ जाएगा। साथ ही कौन सी वैक्सीन लगाई है ये भी इसमें रहेगा। कोविन पोर्टल पर जाकर आप अपना सर्टिफिकेट भी चेक कर सकते हैं। अगर आपसे कोई कहें कि सर्टिफिकेट बाद में दिया जाएगा तो आप उसकी वजह पूछ सकते हैं।
सर्टिफिकेट से पहचाने वैक्सीन
- जी हां, सर्टिफिकेट पर दिए गए QR कोड के माध्यम से भी चेक कर सकते हैं। कोड को स्कैन करने पर आपकी संपूर्ण डिटेल आ जाएगी।
- सर्टिफिकेट अच्छे से चेक करें। उस पर सभी जानकारी रहेगी। आपका नाम, उम्र, वैक्सीन का नाम, वैक्सीनेशन का टाइम, वैक्सीन कब लगवा रहे, कौन-से स्वास्थ्य कर्मी द्वारा आपको वैक्सीन लगाई जा रही है और वैक्सीन के सेंटर का नाम भी चेक करें।
- स्लॉट बुक के दौरान आपको सरकारी केंद्र के साथ प्राइवेट हॉस्पिटल की लिस्ट भी जारी की जाएगी। जहां पर आप स्लॉट बुक करा सकते हैं।
- 80 फीसदी लोगों में वैक्सीनेशन के बाद साइड इफेक्ट नजर आए है। अगर आपको नकली वैक्सीन की शंका होती है तो आप 1 महीने बाद एंटीबॉडी टेस्ट भी करा सकते हैं। टेस्ट के माध्यम से आपको वैक्सीनेशन के बारे में पता चल सकता है। हालांकि यह विकल्प तब ही काम का है जब और कोई विकल्प ना बचें।
गौरतलब है कि मुंबई में एक वैक्सीनेशन सेंटर पर सर्टिफिकेट को लेकर वैक्सीनेशन का सच उजागर हुआ था। उस वक्त करीब 390 लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी। और एक डोज की कीमत 1260 रूपए थी।