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क्या सच में छींकते समय रुक जाती है दिल की धड़कन?

WD Feature Desk
शनिवार, 21 जून 2025 (13:54 IST)
does sneezing stops heartbeat: छींक आना हमारे शरीर की एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ कई मिथक और सवाल जुड़े होते हैं। उनमें से एक सबसे लोकप्रिय और थोड़ा डरावना सवाल है, क्या छींक लेते समय हमारी हार्टबीट रुक जाती है? कई लोग मानते हैं कि जब हम छींकते हैं तो हमारी हृदय गति (heart rate) कुछ क्षणों के लिए रुक जाती है, और यही वजह है कि विदेशों में लोग छींकने के बाद “Bless you” कहते हैं। लेकिन क्या यह वाकई सच है? क्या हमारे दिल की धड़कन सच में उस एक पल के लिए ठहर जाती है? इस लेख में हम इसी सवाल की गहराई से जांच करेंगे, वैज्ञानिक तथ्यों, मेडिकल रिसर्च और बॉडी मैकेनिज़्म के आधार पर।
 
छींक क्या है और यह क्यों आती है?
छींक (Sneeze) दरअसल एक रिफ्लेक्स एक्शन है, जो तब होता है जब हमारी नाक में किसी बाहरी तत्व जैसे धूल, धुआं, परागकण या कोई एलर्जन चला जाता है। शरीर इस एलर्जी से खुद को बचाने के लिए अचानक नाक से हवा बाहर फेंकता है, जिसे हम छींक कहते हैं। यह प्रक्रिया नाक, गले, छाती और फेफड़ों के आपसी समन्वय से होती है। छींक न केवल एक सुरक्षा तंत्र है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि आपकी respiratory system (श्वसन तंत्र) सक्रिय और सतर्क है।
 
तो क्या छींकते समय दिल की धड़कन रुकती है?
यह सवाल medical science में काफी चर्चा का विषय रहा है। लेकिन इसका जवाब थोड़ा जटिल है। हार्टबीट पूरी तरह से रुकती नहीं है, लेकिन छींक के दौरान दिल की गति (heart rhythm) में एक क्षणिक बदलाव अवश्य आता है।
 
जब आप छींकने वाले होते हैं, तो आपकी छाती में अचानक एक दवाब (pressure) बनता है जिसे intrathoracic pressure कहा जाता है। यह दबाव कुछ सेकंड के लिए रक्त संचार और vagus nerve पर असर डालता है, जिससे आपकी heart rate धीमी या momentarily irregular हो सकती है। इसी कारण आपको यह आभास हो सकता है कि आपकी heartbeat एक पल के लिए रुक गई जबकि वास्तव में यह बस थोड़ी धीमी हुई होती है।
 
हार्ट पर कैसे असर डालती है छींक?
Vagus Nerve का प्रभाव:
छींक के समय छाती में जो तेज दबाव बनता है, वह हमारे शरीर की एक बड़ी नर्व, vagus nerve  को प्रभावित करता है। यह नर्व दिल की धड़कन को नियंत्रित करने का कार्य करती है। छींक की प्रतिक्रिया इस नर्व को उत्तेजित कर सकती है, जिससे दिल की गति थोड़ी सी कम हो सकती है।
 
ब्लड फ्लो में परिवर्तन:
छींकते वक्त एक पल के लिए रक्त प्रवाह का पैटर्न बदल जाता है। इस बदलाव से कुछ सेकंड के लिए cardiovascular rhythm पर असर पड़ सकता है, लेकिन यह एक नॉर्मल प्रक्रिया है।
 
हमारे फेफड़े, छाती और दिल एक सिस्टम में काम करते हैं। छींक इस तालमेल में हल्का-सा झटका देती है, जिससे हमें लगता है कि दिल की धड़कन थम गई, लेकिन यह केवल एक महसूस होने वाली स्थिति होती है, न कि वास्तविक रुकावट।
 
क्या छींकते वक्त सांस रुकती है?
हां, छींकने से ठीक पहले हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से सांस रोक लेता है, जिससे छाती में प्रेशर बनता है और छींक अधिक प्रभावी हो पाती है। यही कारण है कि छींकते समय हमारी आंखें बंद हो जाती हैं, सांस कुछ क्षणों के लिए रुकती है और शरीर पूरी तरह से रिफ्लेक्स मोड में आ जाता है।
 
यह सब एक सेकंड से भी कम समय के लिए होता है और शरीर तुरंत नॉर्मल हो जाता है। यह स्वस्थ लोगों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित प्रक्रिया है।
 
क्या छींक से दिल के मरीजों को खतरा होता है?
हालांकि सामान्य छींक से कोई बड़ा खतरा नहीं होता, लेकिन कुछ विशेष स्थितियों में, जैसे कि गंभीर हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर या arrhythmia (अनियमित हृदयगति) से ग्रसित लोगों को बार-बार छींकने पर हल्का असहज महसूस हो सकता है। इसका कारण यह है कि बार-बार बढ़ने वाला प्रेशर दिल के electrical system को प्रभावित कर सकता है।
 
फिर भी, चिकित्सा शोधों के अनुसार, अकेले छींक से किसी को heart attack या cardiac arrest नहीं होता। यदि किसी को छींकते समय चक्कर, सीने में दर्द, या बेहोशी जैसा कुछ महसूस हो रहा हो, तो यह अन्य underlying condition का संकेत हो सकता है और डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।
 
"Bless you" क्यों कहते हैं?
इस विषय पर एक रोचक ऐतिहासिक तथ्य यह है कि पुराने समय में यह माना जाता था कि छींकते समय आत्मा शरीर से बाहर निकलती है, और “Bless you” कहने से व्यक्ति की आत्मा की रक्षा होती है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, जब लोग प्लेग जैसी बीमारियों से पीड़ित होते थे और छींकते थे, तो “Bless you” कहना एक शुभ काम माना जाता था। वास्तविकता में इसका हृदयगति से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, लेकिन यह परंपरा आज भी लोगों के बीच सौहार्द का प्रतीक बन चुकी है। 


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