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सदमे से बचाव के तरीके

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डॉ. वीएस पा ल
संगीता के परिवार में बहन की मृत्यु के बाद से ही वह अपने आपको उदास-निराश महसूस करती थी। उसके खयालों में बहन की यादें आती रहती हैं। इसकी वजह से वह भूख एवं कार्य करने की इच्छा, घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा आदि से परेशान हो रही है। वह इन सब चीजों से या परेशानियों से निकलने के लिए कई प्रकार से जैसे पूजा-पाठ आदि प्रयास करवा चुकी है, परंतु असफल रही है। इस तरह के वाकये समाज में बहुतायत में होते रहते हैं।

सदमा किसी प्रियजन की मृत्यु, गंभीर बीमारी, बड़ी दुर्घटनाएँ, भौतिक या शारीरिक नुकसान की वजह से देखा जाता है, जिसमें व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी, अनिद्रा, भूख न लगना, बार-बार एक ही विचार का आना, सपनों में उसकी मृत्यु के कारण या उसके साथ बिताए गए समय का बार-बार याद आना आदि प्रायः पाए जाते हैं। इससे व्यक्ति के व्यवहार में चिड़चिड़ापन, डर, अविश्वा स, कार्य करने की अनिच्छा, जल्दी थकान जैसे अन्य लक्षण भी होते हैं।

सदमे से बचाव के तरीके

व्यक्ति को सदमा या सदमे (प्रियजन की मृत्यु, दुर्घटना) के बारे में अपनी बातें करने का उपयुक्त मौका प्रदान करना चाहिए।

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पारिवारिक व्यक्तियों को अपने विचार एवं भावनाएँ सदमे से पीड़ित व्यक्ति के साथ प्रकट करने चाहिए।

हर वस्तु नश्वर है। सभी प्रियजनों की कभी न कभी मृत्यु होना स्वाभाविक है। समय के साथ हमें भी मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।

अगर इन लक्षणों की गंभीरता अधिक होती है तो मनोचिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।
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