हालांकि हममें से सभी कभी न कभी, किसी-किसी दिन खराब मूड में रहते हैं। जिंदगी है तो सुख-दुःख भी आता-जाता है। दुःखी होना किसी बुरी घटना का प्रभाव भी हो सकता है। आप 'हैप्पी गो लकी' या खुशनुमा टाइप के हैं तो भी कभी-कभार आप बुझा हुआ-सा महसूस कर सकते हैं। और, आप सदा-विलापी या कुड़-कुड़ टाइप के हैं तो भी कोई न कोई बात तो आपको खुशी देती होगी। आप दोनों में से किसी प्रकार के भी हों, पर कभी-कभी उदासी भी आती होगी। मगर, यह उदासी इतनी ठहर जाए कि व्यक्ति बिलकुल 'निरानंद' हो जाए।