यूं तो बाल गिरना बुढ़ापे की निशानी है, पर आज युवाओं में भी यह आम समस्या है। कम उम्र में बाल गिरने से कभी-कभी निराशा घेर लेती है। कई लोग बाल गिरने के बाद खुद को यार-दोस्तों के बीच जाने के काबिल नहीं मानते हैं। इससे उनमें इतनी हीन भावना आ जाती है कि वे स्वाभिमान खो बैठते हैं और खुद को कम आंकने लगते हैं।
बाल गिरने की समस्या के कई स्वरूप हैं। सबसे आम है एंड्रोजेनिक एलोपेसिया या मेल पैटर्न बाल्डनेस (पुरुषों में) या फीमेल पैटर्न बाल्डनेस (महिलाओं में)। आम तौर पर यह आनुवांशिक समस्या है। अन्य किस्म की समस्याएं अस्थायी होती हैं, पर ये त्वचा के संक्रमण, तनाव और अत्यधिक दवाएं लेने जैसी गंभीर समस्याओं का दुष्प्रभाव हो सकता है। बालों की अहमियत समझना हो तो किसी हेयर ट्रांसप्लांट क्लिनिक के बाहर लोगों की बढ़ती कतार देख लें, जिनके बाल उड़ते जा रहे हैं।