बच्चों में बालों की समस्या

Webdunia
बुधवार, 30 जुलाई 2008 (11:42 IST)
- डॉ. प्रीति सिं ह

बालों की समस्या की शुरुआत बचपन से ही हो जाती है। बच्चे स्कूल से भी बहुत से इंफेक्शन लेकर आते हैं। ऐसे में शुरुआत में ही सावधानी रखने से बाल न केवल सुंदर बने रहते हैं बल्कि लंबे समय तक साथ निभाते हैं।

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आजकल एक वर्ष से 16 वर्ष तक के बच्चों में भी बालों की समस्या पाई जा रही है। यह समस्या डेंड्रफ (रूसी), असमय सफेदी एवं बालों का झ़ड़ना आदि रूप में पाई जाती है। इस समस्या की गंभीरता का अनुमान मुझे उस वक्त हुआ, जब एक वर्ष से भी कम उम्र के बच्चे को मैंने बालों के अत्यधिक झड़ने की समस्या से ग्रसित पाया।

माँ से बच्चे के बारे में संपूर्ण जानकारी लेने पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँची कि बच्चा कमजोर है, उसमें पोषण का अभाव है। इस कारण उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। और जानकारी लेने पर उसकी माँ ने बताया कि बच्चा बार-बार अपने सिर पर हाथ फेरता है। सिर पर सूखी पपड़ी भी जमी हुई पाई गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि खुजली के कारण बच्चा अपने हाथों को बार-बार सिर पर ले जाता है।

  इसका मुख्य कारण यह है कि बच्चे प्रायः अपनी पसंद की खास चीजें जैसे चॉकलेट, बिस्किट आदि एवं सब्जियों में विशेषकर आलू वगैरह ही ज्यादा लेते हैं, जिससे उनके शरीर में अन्य पोषक तत्वों की कमी होने लगती है।      
अतः यह केस फंगल इन्फेक्शन के कारण बालों के झड़ने का है। इस स्थिति में आयरन, कैल्शियम की गोलियाँ (पीसकर) तथा एंटी फंगल सोल्यूशन शुरू किया गया। साथ ही आयुर्वेदिक तेल भी सर पर लगाने की सलाह दी गई। धीरे-धीरे बच्चे ने सिर पर हाथ ले पाना बंद कर दिया तथा सिर पर नए बाल भी आने लगे।

इसी प्रकार बच्चों में आयरन कैल्शियम, बी. कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी आदि पोषक तत्वों की कमी के कारण बालों के झड़ने एवं असमय सफेदी की समस्या आजकल बहुतायत में पाई जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि बच्चे प्रायः अपनी पसंद की खास चीजें जैसे चॉकलेट, बिस्किट आदि एवं सब्जियों में विशेषकर आलू वगैरह ही ज्यादा लेते हैं, जिससे उनके शरीर में अन्य पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। साथ ही पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण बच्चे पिज्जा, बर्गर आदि अधिक पसंद करते हैं तथा दाल, चावल, सब्जी, रोटी वाले खाने से दूर भागते हैं।

कुपोषण जनित रोग से बचने के लिए संपूर्ण आहार (भारतीय आहार) लेना आवश्यक है। माँ-बाप के पास समया भाव के कारण भी बच्चे बाहर के खाने पर अधिक निर्भर रहते हैं। कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन भी बालों को नुकसान पहुँचाता है। आजकल के बच्चे इनके बहुत शौकीन हो गए हैं। इनके स्थान पर फलों के ताजे रस से युक्त पेय अच्छे होते हैं। बच्चों को दिनभर में एक बार नीबू-पानी अवश्य दें। इसमें स्वादानुसार शकर, नमक आदि डाल सकते हैं।

बच्चों में बालों की समस्या का प्रधान कारण कुपोषण ही है। पढ़े-लिखे परिवारों में भी खान-पान की गलत आदतों के कारण कुपोषण की समस्या देखी जा रही है। छोटे बच्चों को शैंपू से बाल धोने का बहुत शौक होता है। वे बार-बार इसका प्रयोग करना चाहते हैं। अतः इस बात का विशेष ध्यान रखें कि शैंपू हानिकारक केमिकल से रहित हो एवं पूर्णतः आयुर्वेदिक हो।

शैंपू का प्रयोग पानी में घोलकर करें। दिन में एक बार आयुर्वेदिक शैंपू का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही उचित आयुर्वेदिक तेल का प्रयोग भी आवश्यक है। तेल बालों में लगाकर न रखें। रात में सोने से पहले लगाएँ एवं सुबह शैंपू से धो लें।
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