वृद्धावस्था में बचे निमोनिया से

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- डॉ. रूपेश मोदी, डीएनबी (मेडिसिन)

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बुजुर्गों पर कई बीमारियाँ तेजी से हमला करती हैं। उनमें से एक है निमोनिया। इसकी एक सबसे बड़ी वजह यह है कि इस अवस्था में शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति क्षीण हो जाती है। किसी भी संक्रमण का आक्रमण झेलने में असमर्थ शरीर आसानी से बीमार हो जाता है। ऐसे में बुजुर्गों को अधिक देखभाल की जरूरत होती है।

दुनिया में प्रतिवर्ष 5.5 मिलियन व्यक्ति बुजुर्ग अवस्था में निमोनिया से पीड़ित होते हैं। बुजुर्ग अवस्था में निमोनिया को कैप्टन ऑफ डेथ भी कहते हैं। निमोनिया बुजुर्ग अवस्था में डेथ का चौथा प्रमुख कारण है। निमोनिया फेफड़ों के संक्रमण को कहते हैं। यह ग्राम पॉजीटिव, ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया एवं वायरस एवं माइको बैक्टिरिया द्वारा होता है।

कभी-कभी यह माइकोस्पिरेशन या केमिकल के इन हेलिसन से भी होता है। यह सभी उम्र के इंसान को हो सकता है। सामान्यतः यह खाँसी, कफ, तेज श्वास लेने, बुखार इत्यादि लक्षणों से प्रदर्शित होता है परंतु बुजुर्ग अवस्था में निमोनिया का प्रेजेंटेशन कुछ अलग तरह से होता है जिससे इसके पहचानने में देरी हो जाती है।
  दुनिया में प्रतिवर्ष 5.5 मिलियन व्यक्ति बुजुर्ग अवस्था में निमोनिया से पीड़ित होते हैं। बुजुर्ग अवस्था में निमोनिया को कैप्टन ऑफ डेथ भी कहते हैं। निमोनिया बुजुर्ग अवस्था में डेथ का चौथा प्रमुख कारण है। निमोनिया फेफड़ों के संक्रमण को कहते हैं।      


बुजुर्ग अवस्था में निमोनिया सामान्यत:
* श्वास की तकलीफ
* अधिक बलगम का बनना
* हल्का बुखार का रहना
* चक्कर आना
* आँखों के आगे धुँधला दिखना
* घबराहट
* छाती में दर्द होना
* अचानक बेहोशी जैसा एहसास होना
* कफ में खून का आना
* बदबूदार बलगम का बनना इत्यादि लक्षणों के द्वारा इसका पता चलता है।

क्यों होता है निमोनिया इस अवस्था में
* शक्कर की बीमारी का होना
* कोनिक ऑब्स्ट्रक्टीव एयरवेज डिसीज का होना (सीओपीडी)
* लीवर की बीमारी का होना
* कोनिक हार्टफेलियर

* धूम्रपान करना
* शरीर के कफ रिफ्लेक्स कमजोर होना जिससे माइकोस्पिरेशन होता है।
* बुजुर्ग अवस्था में फेफड़ेकी क्षमता एवं संकुचन क्षमता का कम होना।
* शरीर में कैंसर जैसी बीमारी का होना।
* लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना किसी भी दूसरी बीमारी के इलाज के लिए जैसे कि लकवे की बीमारी या हार्टअटैक या दमे का अटैक या फ्रेक्चर इत्यादि ।

कैंसर की कीमोथेरेपी
बुजुर्गावस्था में यूँ तो कई संक्रमण हमला करते हैं लेकिन किसी और बीमारी का इलाज कराने के समय अस्पताल में रहते हुए भी उन्हें कई बैक्टेरिया और वायरसों के संक्रमण घेर लेते हैं। जैसे-
* क्लेबसिएला
* सूडोमोनास
* एनऐरोबिक माइकोऑर्गेनिस्म
* माइको बेक्टिरियम नामक कीटाणु भी फेफड़ों का संक्रमण कर देते हैं ।

क्या करें बचाव के लिए
* खानपान अच्छा रखना चाहिए।
* पौष्टिक खाना लेना चाहिए जिससे शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता ब़ढ़ती है।
* अगर शरीर में अन्य कोई बीमारी जैसी मधुमेह, लीवर का कोई असाध्य रोग, आदि हो तो उसका उचित इलाज किया जाना चाहिए।
* समय-समय पर अपने चिकित्सक से परामर्श करते रहने चाहिए, कोई भी नया लक्षण नजर आए तो उसकी रिपोर्ट की जानी चाहिए।
* फेफड़ों से संबंधित कसरत करना चाहिए ।

वैक्सीन का उपयोग करें
* इनफ्लुएंजा वैक्सीन
* 23 पोलिवेलेंट न्यूमोकॉकल वेक्सिन लगवाना चाहिए
* सर्दी-जुकाम का इलाज करवाना चाहिए।
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