कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक में क्या है अंतर? लक्षण, कारण और कौन है ज्यादा खतरनाक

WD Feature Desk
सोमवार, 30 जून 2025 (13:27 IST)
difference between heart attack and cardiac arrest in hindi: हमारा दिल शरीर का बहुत की संवेदनशील अंग है। आज कल दिल से जुड़ी बीमारियों को लेकर लोगों में काफी जिज्ञासा रहती है। हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट दोनों ही हार्ट से सम्बंधित हैं लेकिन अक्सर लोग कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) और हार्ट अटैक (Heart Attack) को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों बिल्कुल अलग आपातकालीन स्थितियां हैं जिनके लक्षण, कारण और परिणाम भी भिन्न होते हैं। इस लेख में हम इन दोनों के बीच के महत्वपूर्ण अंतरों को समझेंगे, इनके लक्षणों और कारणों पर प्रकाश डालेंगे, और यह भी जानेंगे कि दोनों में से कौन ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

हार्ट अटैक क्या होता है
हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को रक्त पहुंचाने वाली कोरोनरी धमनी (Coronary Artery) में अचानक रुकावट आ जाती है। यह रुकावट आमतौर पर वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों (जिन्हें प्लाक कहते हैं) के जमा होने के कारण होती है। जब यह प्लाक टूटता है, तो वहां खून का थक्का बन जाता है जो रक्त प्रवाह को पूरी तरह अवरुद्ध कर देता है। रक्त प्रवाह रुकने से हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और वे क्षतिग्रस्त होने लगती हैं या मरने लगती हैं।

हार्ट अटैक के लक्षण:
छाती में दर्द: यह अक्सर छाती के बीच में या बाईं ओर दबाव, जकड़न या भारीपन जैसा महसूस होता है। यह दर्द हाथों (विशेषकर बाएं हाथ), गर्दन, जबड़े, पीठ या पेट तक फैल सकता है।
सांस फूलना: विशेषकर शारीरिक गतिविधि के दौरान।
पसीना आना: अचानक, ठंडा पसीना।
मतली या उल्टी: कभी-कभी अपच जैसा महसूस होना।
चक्कर आना या बेहोशी: रक्तचाप में गिरावट के कारण।
थकान: असामान्य और अत्यधिक थकान।

हार्ट अटैक के कारण:
•          धमनियों का सख्त होना (एथेरोस्क्लेरोसिस)
•          उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
•          उच्च कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol)
•          मधुमेह (Diabetes)
•          मोटापा (Obesity)
•          धूम्रपान (Smoking)
•          तनाव (Stress)
•          शारीरिक निष्क्रियता

कार्डिएक अरेस्ट क्या होता है
कार्डिएक अरेस्ट एक ऐसी स्थिति है जब हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है, या प्रभावी ढंग से धड़कना बंद कर देता है। यह हृदय के विद्युत तंत्र (Electrical System) में अचानक आई खराबी के कारण होता है। जब विद्युत संकेत गड़बड़ाते हैं, तो हृदय अनियमित रूप से धड़कना शुरू कर देता है, जिसे वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन (Ventricular Fibrillation) कहते हैं, या बिल्कुल धड़कना बंद कर देता है। इससे पूरे शरीर, विशेषकर मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह रुक जाता है।

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कार्डिएक अरेस्ट के लक्षण:
अचानक बेहोशी: व्यक्ति अचानक गिर जाता है और रेसपोंद नहीं करता है।
सांस न लेना या हांफना: व्यक्ति सांस लेने के लिए संघर्ष करता है या बिल्कुल भी सांस नहीं लेता।
पल्स (नाड़ी) का न होना: कलाई या गर्दन पर कोई नाड़ी महसूस नहीं होती।
त्वचा का नीला पड़ना: ऑक्सीजन की कमी के कारण।

कार्डिएक अरेस्ट के कारण:
हालांकि कार्डिएक अरेस्ट बिना किसी पूर्व चेतावनी के हो सकता है, इसके कई अंतर्निहित कारण हो सकते हैं:
• गंभीर हार्ट अटैक (जो हृदय की विद्युत गतिविधि को प्रभावित करता है)
• कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों की बीमारी)
• जन्मजात हृदय दोष
• नशीली दवाओं का ओवरडोज
• गंभीर इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन

दोनों में से कौन ज्यादा खतरनाक है?
दोनों ही स्थितियां जानलेवा हैं, लेकिन कार्डिएक अरेस्ट ज्यादा खतरनाक और तत्काल जानलेवा आपात स्थिति है। हार्ट अटैक में हृदय की मांसपेशियों को नुकसान होता है, लेकिन हृदय अक्सर धड़कता रहता है। मरीज को अस्पताल पहुंचने और उपचार प्राप्त करने के लिए समय मिल सकता है।

वहीं, कार्डिएक अरेस्ट में हृदय तुरंत धड़कना बंद कर देता है, जिससे मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों में रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति तुरंत रुक जाती है। यदि तत्काल सीपीआर (CPR) और डिफाइब्रिलेशन (Defibrillation) न मिले, तो कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है और मृत्यु हो सकती है। इन दोनों के बीच के अंतर को समझना महत्वपूर्ण है ताकि सही समय पर सही सहायता प्राप्त की जा सके और जान बचाई जा सके। अपने दिल के स्वास्थ्य का ख्याल रखें, स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और आपात स्थिति में तुरंत चिकित्सा सहायता लें। याद रखें, जानकारी ही बचाव है!

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