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Lactose Intolerance: दूध पीने के बाद क्या आपको भी होती है दिक्कत? लैक्टोज इनटॉलरेंस के हो सकते हैं लक्षण, जानिए कारण और उपचार

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WD Feature Desk

, शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (17:00 IST)
What Is Lactose Intolerance: क्या दूध पीने के बाद आपको पेट में ऐंठन, गैस या सूजन महसूस होती है? यदि हां, तो हो सकता है कि आप लैक्टोज इनटॉलरेंस से पीड़ित हों। यह एक ऐसी आम पाचन समस्या है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर दूध और दूध से बने उत्पादों में पाए जाने वाले लैक्टोज नामक शुगर को ठीक से पचा नहीं पाता।  आइए इस स्थिति को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि इसका इलाज और प्रबंधन कैसे किया जा सकता है।

लैक्टोज इनटॉलरेंस क्या होता है?: लैक्टोज इनटॉलरेंस तब होता है जब शरीर में लैक्टेज नामक एंजाइम की कमी हो जाती है। लैक्टेज एंजाइम छोटी आंत में बनता है और इसका मुख्य काम दूध में मौजूद लैक्टोज को तोड़कर ग्लूकोज और गैलेक्टोज में बदलना होता है, जिन्हें शरीर आसानी से अवशोषित कर सके। जब लैक्टेज की मात्रा कम होती है, तो लैक्टोज बिना पचे ही बड़ी आंत में पहुंच जाता है, जहाँ बैक्टीरिया इसे फर्मेंट करने लगते हैं। इसी फर्मेंटेशन प्रक्रिया से गैस, सूजन और पेट में दर्द जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

लैक्टोज इनटॉलरेंस के आम लक्षण: लैक्टोज इनटॉलरेंस के लक्षण आमतौर पर दूध या डेयरी उत्पाद खाने के 30 मिनट से लेकर 2 घंटे के भीतर दिखाई देने लगते हैं। ये लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर में लैक्टेज की कमी कितनी है।
  • पेट में सूजन और गैस: यह सबसे आम लक्षण है, जो अपचित लैक्टोज के फर्मेंटेशन के कारण होता है।
  • पेट में ऐंठन और दर्द: पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द या ऐंठन महसूस हो सकती है।
  • दस्त: अपचित लैक्टोज के कारण बड़ी आंत में पानी खींचता है, जिससे दस्त की समस्या हो सकती है।
  • मतली: कुछ लोगों को दूध पीने के बाद उल्टी जैसा महसूस हो सकता है।
 
किन लोगों को ज्यादा खतरा होता है?
लैक्टोज इनटॉलरेंस किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह कुछ लोगों में अधिक आम है।
  • उम्र के साथ: जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, शरीर में लैक्टेज का उत्पादन स्वाभाविक रूप से कम हो सकता है।
  • आनुवंशिक कारण: कुछ जातीय समूहों में लैक्टेज की कमी अधिक आम है, जैसे एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी।
  • पाचन संबंधी बीमारियां: क्रोहन रोग या सीलिएक रोग जैसी पाचन संबंधी बीमारियां छोटी आंत को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे लैक्टेज का उत्पादन प्रभावित होता है।
  • छोटे बच्चों में: कुछ बच्चों में जन्म से ही यह समस्या हो सकती है, हालांकि यह दुर्लभ है।
 
लैक्टोज इनटॉलरेंस का इलाज और सावधानियां
लैक्टोज इनटॉलरेंस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे आहार में बदलाव करके आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है।
  • डेयरी उत्पादों का सेवन कम करें: सबसे प्रभावी तरीका है दूध, पनीर, आइसक्रीम और अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन कम करना या उनसे पूरी तरह बचना।
  • लैक्टोज-मुक्त उत्पाद: आजकल बाजार में लैक्टोज-मुक्त दूध, दही और पनीर आसानी से उपलब्ध हैं।
  • लैक्टेज एंजाइम सप्लीमेंट: भोजन के साथ लैक्टेज एंजाइम की गोलियां लेने से लैक्टोज को पचाने में मदद मिल सकती है।
  • कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन: डेयरी उत्पादों को छोड़ने से कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हो सकती है। इसलिए, इन पोषक तत्वों के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, सार्डिन और संतरे का रस जैसे अन्य स्रोतों को अपनी डाइट में शामिल करें। ALSO READ: Heart attack symptoms: रात में किस समय सबसे ज्यादा होता है हार्ट अटैक का खतरा? जानिए कारण
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