Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

देश में हर तीसरी मौत के पीछे हार्ट अटैक, रिपोर्ट में सामने आई डरावनी तस्वीर, क्‍या कहा डॉक्‍टरों ने?

Advertiesment
हमें फॉलो करें Heart attack is behind every third death in the country

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 5 सितम्बर 2025 (13:15 IST)
दिल रोग और इससे मौत के मामलों को लेकर आई एक ताजा रिपोर्ट में भारत के नागरिकों को अलर्ट किया गया है। दरअसल, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के तहत किए गए सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि भारत में होने वाली सभी मौतों में से एक-तिहाई का कारण हृदय यानी दिल के रोग हैं।

दिल की बीमारियां देश में मृत्यु दर का प्रमुख कारण बने हुए हैं, जो लगभग 31 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि जिस तरह से लोगों की दिनचर्या, खानपान में गड़बड़ी देखी जा रही है इससे आशंका है कि ये आंकड़े और भी बढ़ सकते हैं।

युवा ज्‍यादा हो रहे शिकार : आंकड़े बताते हैं कि हर साल लाखों भारतीय दिल की बीमारी के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या युवा पीढ़ी की है। 30-35 साल के युवा जो खुद को फिट और एनर्जेटिक मानते थे, अचानक हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। दुखद यह है कि अन्य रोगों की तुलना में सबसे अधिक देखा जा रहा है, ये हर साल होने वाली मौतों का प्रमुख कारण भी है। कुछ दशकों पहले से हृदय रोगों का उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारियों के रूप में जाना जाता था हालांकि अब कम उम्र के, यहां तक कि 20 से भी कम आयु के लोग इसका शिकार हो रहे हैं।

नॉन कम्युनिकेबल डिजीज एक कारण : 2021-2023 में कहा गया है कि नॉन कम्युनिकेबल डिजीज देश में मृत्यु का प्रमुख कारण हैं, जो सभी मौतों का 56.7 प्रतिशत है। इसके अलावा संचारी रोग, मातृ स्वास्थ्य, प्रसवकालीन और पोषण संबंधी स्थितियां 23.4 प्रतिशत मौतों का कारण बनती हैं। कोविड से प्रभावित साल 2020-2022 की अवधि में ये आंकड़े क्रमशः 55.7 प्रतिशत और 24.0 प्रतिशत थे।

इसके बाद सांस के संक्रमण से : जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर हृदय रोग मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है। इसके बाद सांस के संक्रमण 9.3 प्रतिशत, घातक और अन्य नियोप्लाज्म 6.4 प्रतिशत तथा सांस के रोगों के कारण 5.7 प्रतिशत मौतें होती हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट : रिपोर्ट में बताया गया है कि परिणामों की समीक्षा की जानी चाहिए, क्योंकि कारणों के गलत वर्गीकरण की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है। अध्ययन से ऐसे निष्कर्ष सामने आए हैं, जिनसे निश्चित रूप से देश में मृत्यु दर की स्थिति और उससे जुड़ी चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, जिस तरह से हृदय रोगों के मामले बढ़ते जा रहे हैं इसको लेकर सभी लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है।
Edited By: Navin Rangiyal

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारत में घुसे 14 पाकिस्तानी आतंकी, 34 वाहनों में 34 मानव बम, मुंबई पुलिस को व्हाट्सएप पर मिली धमकी