एक रिसर्च में सामने आया है कि गाय और सुअर के ब्लड में माइक्रोप्लास्टिक मिला है। जो वहां से इंसानों तक आ रहा है। जिस मात्रा मे यह जानवरों में मिला है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी ज्यादा मात्रा में यह इंसानों के भीतर जा रहा होगा। आइए जानते हैं क्या कहती है ये रिसर्च।
रिसर्च में बताया गया है कि गाय और सुअर के ब्लड में मिले माइक्रोप्लास्टिक इनके अंगों में जमा हो सकते हैं और इनके दूध के जरिए इंसानों तक पहुंच सकते हैं।
एम्सटर्डम की ब्रिजे यूनिवर्सिटी ने यह रिसर्च की है। शोधकर्ताओं के मुताबिक 12 गायों और 6 सूअरों पर स्टडी की गई। रिसर्च के दौरान इनके ब्लड में प्लास्टिक के बारीक कण मिले। यह खतरा सिर्फ जानवरों के लिए ही नहीं है, बल्कि इंसानों के लिए भी है।
ये प्लास्टिक के महीन कण फूड चेन के जरिए एक से दूसरे में पहुंच सकते हैं। जैसे- गाय के दूध से इंसानों में इसके पहुंचने का खतरा है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इससे पहले भी दूसरे जानवरों में प्लास्टिक के कण पाए गए हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब गायों और सूअरों के खून में माइक्रोप्लास्टिक मिला है।
मिट्टी में मौजूद प्लास्टिक जानवरों में आ जाते हैं और आंतें भी इन कणों को खत्म नहीं कर पातीं हैं, जिससे ये खून में मिल जाती हैं। ये इतने बारीक होते हैं कि इन्हें आंखों से देख पाना मुश्किल है।
रिसर्च के शोधकर्ताओं के मुताबिक समुद्र से हर साल 17,600 टन प्लास्टिक निकाली जाती है। इनमें से 84 फीसदी प्लास्टिक समुद्र के तटों और 16 फीसदी तक समुद्र की गहराई में मिलती है। इन्हें ही विभिन्न तरह के जानवर खा लेते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक के कण 5 एमएम या इससे कम आकार के होते हैं। ये प्लास्टिक की बोतलों और बैग के टूटने या डैमेज होने पर बनते हैं। इसके अलावा चलने पर जूते के सोल और ड्राइविंग के दौरान वाहनों के टायर से निकलने वाले कण भी इसमें शामिल हैं।