घी : दूध से निकाला हुआ अमृत

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दूध से बनाए जाने वाले पदार्थों में घी सर्वश्रेष्ठ है। दूध द्वारा जितने भी पदार्थ बनाए जाते हैं, उनमें घी सर्वाधिक शक्ति प्रदान करने वाला तथा शाकाहारी वर्ग के लिए अमृत के समान है।

घी गाय, भैंस और बकरी के दूध से ही आमतौर पर बनाया जाता है। सब प्रकार के घी में गोघृत सर्वश्रेष्ठ होता है। घी में कैलोरीज सर्वाधिक मात्रा में अर्थात्‌ प्रति 100 ग्राम में लगभग 900 कैलोरीज पाई जाती है।

घी रसायन, मधुर, नेत्रज्योति बढ़ाने वाला, अग्नि प्रदीपक शीतवीर्य तथा विष, दरिद्रता, कुरूपता, पित्त और वात का नाश करने वाला है। थोड़े भारीपन वाला तथा कांति, बल, तेज, लावण्य बुद्धि, स्वर की मधुरता, स्मरण शक्ति, मेधा और आयु को बढ़ाने वाला तथा बलवर्द्धक है। यह भारी, चिकना, कफकारी तथा उदावर्त, ज्वर, उन्माद, शूल, अफरा, वर्णक्षय, विसर्प तथा रक्तविकारों का नाश करने वाला है। ज्वर के रोगी के लिए हितकारी है।

उपयोग : (1) नया घी आहार के लिए और पुराना घी औषधि के रूप में उपयोगी होता है। एक वर्ष के बाद घी पुराना हो जाता है। घी का उपयोग रसोई के व्यंजन बनाने, तलने, बघारने तथा रोटी पर लगाने में तो प्रयोग किया ही जाता है, साथ ही इसका उपयोग औषधि के नुस्खों में भी किया जाता है। तेल की अपेक्षा घी का उपयोग करना अच्छा होता है, क्योंकि तेल खाने में एसीडिटी पैदा करता है, वहां घी पित्त का शमन कर एसीडिटी को समाप्त करता है।

(2) जुलाब लेना हो तो पहले तीन दिन तक 1 चम्मच ताजा घी में थोड़ी पिसी काली मिर्च मिलाकर सोते समय चाट लें। इससे आंतें मुलायम हो जाएंगी और मल फूल जाएगा तथा आसानी से निकल जाएगा। तीन दिन बाद कोई सा भी हलका जुलाब ले लें।

(3) हिचकी चलती हो तो 1-2 चम्मच ताजा घी, जरा सा गरम कर, चाट लेना चाहिए। हिचकी चलना बंद हो जाएगी।

(3) गला बैठ गया हो तो 2 चम्मच ताजे घी में पिसी काली मिर्च डालकर गरम करें और ठंडा कर लें। भोजन के बाद इसका सेवन करें। इससे गले की आवाज ठीक हो जाती है। होठ फटते हों तो घी में जरा सा पिसा नमक मिलाकर होठों व नाभि पर लगाना चाहिए।

(4) रात को सोने से पहले सिर के बालों में और चेहरे पर घी लगाकर मालिश करने से कुछ दिनों में चेहरे के दाग धब्बे, झांई आदि मिट जाते हैं, चेहरे की त्वचा कांतिपूर्ण हो जाती है, बाल घने, लंबे व चमकीले हो जाते हैं और दिमाग में तरावट रहती है।

(5) ताजे घी में जायफल घिसकर इसका पतला लेप आंखों की पलकों पर लगाने से अनिद्रा रोग नष्ट होता है और नींद आ जाती है। नकसीर फूटने से खून गिरता हो तो नाक में दोनों तरफ घी की बूंदें टपकाने, घी सुंघाने और गर्दन नीची करके लिटाने से खून बहना बंद हो जाता है।

(6) फोड़े फुंसी या चोट का घाव ठीक करने और भरने के लिए घी का फाहा बनाकर लगाना बहुत लाभदायक होता है।

(7) जो दुबले-पतले शरीर के और कमजोर आंखों वाले हों, उन्हें प्रतिदिन गाय का घी 2 चम्मच और 2 चम्मच पिसी मिश्री मिलाकर भोजन के साथ या दिन में कभी भी एक बार खाना चाहिए। दो माह में इसका प्रभाव दिखने लगेगा।

घी का सेवन करते हुए अपनी पाचन शक्ति का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि घी पचने में भारी होता है और शारीरिक परिश्रम करने वाला स्वस्थ व्यक्ति ही इसे पूरी तरह हजम कर सकता है। मोटे व्यक्ति यदि घी ठीक से पचा न सकें तो पहले पाचन शक्ति ठीक करे। फिर घी का सेवन शुरू करें।

घी पच नहीं रहा है, इसका संकेत कब्ज होने, पतले दस्त लगने, भूख कम होने और पेट भारी होने से मिलता है। दाल में घी का तड़का लगाकर घी का सेवन करना और रात को सोने से पहले दूध में घी डालकर पीना, ये तरीके ऐसे हैं, जिनसे घी आसानी से हजम हो जाता है।

अच्छी पाचन शक्ति हो तो किसी भी उम्र का व्यक्ति घी का सेवन कर सकता है। छोटे शिशु, बहुत वृद्ध, जो कमजोर हों, राजयक्ष्मा, कफ रोग, आम व्याधि, हैजा, मलबन्ध, मदात्यय, ज्वर और मंदाग्नि से ग्रस्त व्यक्ति को घी का अति सेवन नहीं करना चाहिए।

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