सरहद से फिर : संवेदनशील कविताएँ

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शेरजंग गर्ग
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कविता ही नहीं, कहानी एवं डायरी लेखन से हिंदी परिदृश्य में हस्तक्षेप कर रहे मनोहर बाथम सर्वप्रथम अपनी गद्यकृति 'आतंकवाद : चुनौती और संघर्ष' से चर्चा में आए थे। उनके विशिष्ट कर्म-क्षेत्र का अनुभव उनके सृजन में इस तरह बोलता है कि अलग से पहचाने जा सकें। सीमा सुरक्षा बल के उप महानिरीक्षक मनोहर बाथम सीमा प्रबंधन एवं मानवाधिकार क्षेत्र में भी गहरा दखल रखते हैं। 'सरहद से फिर' उनकी द्वितीय काव्यकृति है। इसमें वे अपनी 58 ताजा कविताओं के साथ हैं।

पाठकों के एक अनदेखे लोक के अनुभव को कविता में उतारते हुए कवि आत्मविश्वास भी दिखाता है और सलीका भी। यहाँ खून से सनी जमीन है, आतंक है। आतंक झेलते निर्दोष हैं तो आतंक बरपाने वाले भी। उनसे टकराते सैनिक हैं तो उनकी साँसें व धडकनें भी। 'सरहदों का/इतिहास है रक्तिम' से प्रार्थना कविता शुरू होती है। 'जन्नत का रास्ता' कविता में खो चुके रिश्ते हैं- 'दहशतगर्द/ क्यों नहीं देख पाता/इस भीड़ में यह सब/क्यों नहीं ढूँढ़ता वहाँ/महबूब, भाई-बहन या कि कोई दोस्त।'

अपने कर्तव्य बोझ से लगभग असंवेदी हो चुके सैन्य अधिकारी की तरफ मनोहर का यह संकेत देखिए- 'इन छत्तीस कीलों वाले बेजान जूतों में/काँच की कोई किरच चुभती ही नहीं।' संग्रह की दो कविताओं में प्रयुक्त शब्द है 'चश्मदीद'। आँखिन देखे यथार्थ की अभिव्यक्ति में वे अनुभव का प्रत्यक्ष रेखांकित करते हैं।

उनके अनुभव संसार, भाव-लोक तथा काव्य-विवेक को लीलाधर मंडलोई ने अपने ब्लर्ब में उद्घाटित किया है। बैक कवर पर नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, चंद्रकांत देवताले, वेणुगोपा, विष्णु नागर और कमलाप्रसाद के मंतव्य भी उनकी कविता के उजले पक्ष को उजागर करते हैं।

सीमारहित दुनिया का मानचित्र बनाते और उसका स्वप्न देखते इस कवि की कुछ अपेक्षाकृत लंबी कविताएँ भी संग्रह में हैं- 'चिट्ठ ियाँ : सरहद पर', 'तलाशी', 'मानव-तस्करी पर कुछ कविताएँ' इत्यादि। 'कीचड़' जैसी छोटी कविता, जो अपनी चार पंक्तियों में बड़ी कविता को समेटे हुए है, इस कवि के काव्य-कौशल को पूरी दीप्ति में रखती है।

संग्रह की पहली कविता में ही मनोहर बाथम अपनी इच्छा को जिस भाँति शब्दित करते हैं, वह उसके धैर्य, उसके हौसले और आगे की तैयारियों को खोल देता है-'सरहदें मुल्क की/ मैं मुल्क का प्रहरी/मैं होना चाहता हूँ सुर/शब्द/हवा/और पक्ष ी' ।

पुस्तक : सरहद से फिर
लेखक : मनोहर बाथम
प्रकाशक : मेधा बुक्स, नई दिल्ली
मूल्य : 150 रुपए

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