पुस्तक समीक्षा : सुंदर रिश्ते पर रची सौंधी कृति है 'मां-बेटी'

Webdunia
संजय वर्मा 'दृष्टि'  
 
मां-बेटी काव्य संग्रह में ज्योति जैन ने एक अनूठा काव्य प्रयोग किया है। मांडना कला व सुन्दर रेखांकन से छोटी-छोटी कविताओं को सजाया है। हर कविता भाव का प्रत्यक्ष प्रमाण दर्शाती है। सुंदर आवरण जहां मन को मोहता है वहीं कविता संग्रह से जुड़े हर व्यक्ति ने मां-बेटी पर बेहतर सारांश लिखे हैं। सहज भावों का सुनियोजित समावेश एक सम्मोहन पैदा करता है। जैसे वरिष्ठ लेखिका सुधा अरोड़ा, व्यंग्यकार अरूणा शास्त्री के साथ ज्योति जैन की अपनी बेटियों और मां द्वारा लिखे संदेशों ने पुस्तक को अत्यंत पठनीय बना दिया है।
 

 
कवयित्री ज्योति जैन ने अपनी कृति दुनिया की तमाम माताओं /बेटियों को समर्पित कर प्रेरणा संदेश में कहा है कि "मां से ही जिंदगी जीने का सही सलीका सीखा जा सकता है।''  
 
साहित्य की दुनिया में ज्योति जैन का नाम बेहतर संचालन, प्रभावी लेखन और मधुर वाणी से अपनी अलग पहचान बना चुका है। ज्योति जैन की काव्य-कृतियां,कहानी संग्रह,लघुकथा संग्रह पहले भी साहित्य संसार का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं। ज्योति जैन की हर कविता दमदार है और दिल को छू जाने वाली है। जैसे इन पंक्तियों को पढ़ें तो एक मोहक और मीठा सुकून मिलेगा- 
 
"ईश्वर से प्रार्थना यही ,लूं जन्म मै अगली बार कभी /उस भाव में भी मां तू मिले ,है मेरी मंशा बस इतनी"। 
 
मां मकान को घर बनाना चाहती थी /इतने नेह से बनाया घर /कि घर मंदिर बन गया /अब समझ में आया …/ मां मंदिर क्यों नहीं जाती" । 
 
लौट आया है बचपन का /वह मधुर संगीत /आज बेटी ने /चांदी की पाजेब पहनी है"। 
 
"एक सुन्दर रचना में भाव कुछ इस तरह बयां किए हैं -मां ने मेहंदी से/हथेली पर,बना दिया रुपया /मां की दुआओं का रंग खिला /और भरी रही /झोली बेटी की /खुशी,धन-धान्य और/संस्कारों से" । 
 
कलयुग में मां की मनोदशा पर वर्तमान के हालातों पर गहराई से चिंतन करती पंक्तियां हैं-   
 
"लगता है सचमुच ही/कलयुग आ गया है/सुना है,धरती के साथ-साथ /मां का भी /बंटवारा होने लगा है" 
 
इस रचना पर गौर फरमाएं - जमाना बदल गया है/टेलीफोन की जगह /बेतार आ गया है /रिश्ते बदलने लगे हैं / पर नहीं बदलती मां / गर्भनाल काटने पर भी /जोड़े रहती है तार /दिलों के, रिश्तों के। 
 
काव्य संकलन में ऐसी कई एक से बढ़कर एक रचना शामिल की गई हैं। ज्योति जैन महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी सक्रिय है उनका मानना है कि "महिलाएं और मजबूत बने इस हेतु हर महिला की सक्रिय भूमिका होना चाहिए ताकि समाधान की रोशनी फैल सकें एवं मुश्किलों का, हर कठिनाइयों का सामना वे निडर होकर कर सके। अपने अधिकारों की परिभाषा को सही मायने में पा सके। 
 
ज्योति जैन ने साहित्य के क्षेत्र में यह कर दिखाया है। "मां-बेटी " काव्य संकलन 100 % दिलों में जगह बनाएगा इसमें कोई शक नहीं है। 
 
काव्य कृति : मां-बेटी 
कवयित्री: ज्योति जैन
1432/24,नंदानगर ,इंदौर (मप्र) 452011 
मूल्य : 200/-
मुद्रक : संजय पटेल
 
 
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