साइबर संसार : इस तरह बचें साइबर अपराधों से

वर्तिका नंदा
पिछले कई सालों से साइबर अपराधों को देखते सुलझाते ये बात सामने आई कि हिंदी में साइबर अपराध पर कोई ऐसी किताब नहीं है जो हमारी आपकी भाषा में साइबर दुनिया के अलग-अलग आयामों को सामने रखे। ये किताब उसी कमी को पूरा करने की दिशा में एक छोटा सा प्रयास है। 
ये किताब आपको कोई नई बात बताने का दावा नहीं कर रही है। इसमें लिखी कई बातें आप कई जगह पर पढ़ चुके होंगे, जानते होंगे, कई बातें इसमें आपको नहीं भी मिलेंगी। मगर जो भी बातें इसमें हैं, वो सरल भाषा में आपको बताने का प्रयास किया है जिससे साइबर दुनिया को समझने में और इस दुनिया में सुरक्षित विचरण करने में आपको अवश्य ही सहायता मिलेगी।
 
वकालत की दुनिया से जुड़े साथियों के लिए और पुलिस विभाग के कर्मियों के लिए भी इस किताब में ऐसी कई बातें हैं जो उनकी व्यावसायिक दक्षता बढ़ाने में सहायक होगी। लेखक का कहना है कि इस छोटी सी किताब से अगर एक आम पाठक साइबर दुनिया के प्रति थोड़ा भी जागरूक होता है तो वो अपना प्रयास सफल समझेंगे। ये किताब अभी केवल डिजिटल रूप में ऑनलाइन जगरनॉट (JUGGERNAUT) एप्लीकेशन के माध्यम से उपलब्ध है।
 
इस किताब में डिजिटल संसार से परिचय, साइबर अपराध क्या होते हैं, भारतीय साइबर कानून, साइबर अपराध और साक्ष्य, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और 65 बी प्रमाण पत्र, CERT-IN, MLAT, साइबर संसार : धोखे और सावधानियां, कुछ सामान्य सुझाव तथा आतंक का नया हथियार इंटरनेट पर चर्चा की गई है। 
 
बच्चों की इंटरनेट गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए जो बातें बताई गई हैं वे बहुत सामान्य सी हैं और हर माता-पिता इसे देख सकते हैंI जैसे : 
• अगर आपका बच्चा अपना ज्यादा वक्त ऑनलाइन गुजारता है।
• वो जो अकाउंट ऑनलाइन इस्तेमाल कर रहा है वो उसके नाम से नहीं है।
• उसके मोबाइल या कंप्यूटर में पोर्नोग्राफिक सामग्री मिलती है।
• उसके ऐसे दोस्त हैं जिनके बारे में आप कुछ नहीं जानते हैं और वो आपको उनके बारे में गोलमोल जवाब देता है।
• इन दोस्तों से लम्बी बातें होती हैं और ऐसे वक्त वो आपसे बचना चाहता है।
• आपके बच्चे को उपहार, ईमेल आदि अनजाने लोगों से मिल रहे हों।
• बच्चा परिवार से कटा-कटा रहने लगा है।
• तो ज़रूर ही आपके बच्चे को आपकी जरूरत है। सीधे सवाल उसे सावधान कर देंगे। कई बार हम गलत भी हो सकते हैं, क्योंकि ये उम्र ही अपने को और अपनी दुनिया को तलाशने की होती है।
 
पहले दिए सुझावों का पालन करें। अपने बच्चों के दोस्त बनें, खेलकूद, शारीरिक क्रियाकलापों पर थोड़ा ध्यान दें। खुद भी तकनीक जानें, उन्हें इस्तेमाल करें। बच्चों से सीखें।
 
इंटरनेट की दुनिया में सुरक्षित विचरण के लिए कुछ सामान्य सुझाव जो पुस्तक में दिए गए हैं :
• अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट के लिए यूनिक और सुरक्षित पासवर्ड रखें। इन पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहें।
• कभी भी ऐसे फाइल अटैचमेंट्स को न क्लिक करें जो अनजान लोगों की ओर से आए हैं। बैंक या किसी भी वेबसाइट पर जाने के लिए उसका नाम टाइप करें या सीधे यूआरएल टाइप करें कभी भी प्राप्त लिंक को क्लिक न करें।
• किसी सॉफ्टवेयर या एप्लीकेशन को सिक्योर स्रोत से डाउनलोड करें, प्राप्त लिंक से नहीं।
• अनजान लोगों से प्राप्त ईमेल को डिलीट कर दिया करें।
• कभी भी ज्यादा लुभावनी ईमेल या पोस्ट्स को जो आपको मुफ्त में सैर कराने का वादा कर रही हों, क्लिक न करें।
• हमेशा अपने बैंक अकाउंट्स और पैसे के लेनदेन को बारीकी से जांच करते रहें और कोई भी बदलाव हो तो तुरंत सतर्क हो जाएं। 
• अपने सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखें।
• अपनी फाइल्स और डाक्यूमेंट्स का एक सुरक्षित बैकअप ज़रूर रखें, ताकि उसके लिए कोई साइबर अपराधी आपसे रैनसम या फिरौती न ले सके।
• सोशल मीडिया साइट्स पर अनजान लोगों से बहुत दोस्ती न बढ़ाएं।
• अपनी व्यक्तिगत और आर्थिक जानकारियां साझा न करें।
• अनजान लोगों से अगर दोस्ती होती है तो भी वास्तविक जीवन में मिलने में सावधानी बरतें।
• अपना व्यवहार सौम्य और संयत रखें।
• अश्लील साइट्स से दूर रहें।
• वेब कैमरा के माध्यम से कभी कोई अश्लील हरकत न रिकॉर्ड करें।
• मोबाइल या कंप्यूटर से लगे वेब कैमरा को जब इस्तेमाल न कर रहे हों दो दूसरी तरफ रखें।
• अपने मोबाइल, कंप्यूटर में अचानक आए बदलाव पर नज़र रखे जैसे क्या अचानक उसकी बैटरी जल्द समाप्त हो रही है, लोकेशन या ब्लूटूथ अपने से ऑन हो जा रहा है, वेब कैमरा/कैमरा तस्वीरें ले रहा है। डाटा ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। ऐसा कुछ भी हो रहा है तो सतर्क हो जाएं।
 
पंजाब की घटना को लेकर स्टॉकिंग अभी काफी चर्चा में है। पुस्तक में साइबर स्टॉकिंग पर विस्तार से चर्चा की गई है जो महिलाओं के लिए काफी उपयोगी जानकारी हो सकती है :
 
‘साइबर स्टॉकिंग यानी साइबर की दुनिया में पीछा करना या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपके पीछे पड़ना भी एक तरह का अपराध है। उदाहरण के लिए जब आप घर से बाहर निकलते हैं और एक व्यक्ति आपका पीछा करता है, वह आपको कुछ कहता नहीं, ना ही आपको तंग करता है। आप अपने ऑफिस जाते हैं वह पीछे-पीछे आपके ऑफिस तक आता है। जब आप ऑफिस से बाहर निकलते हैं तो वह आपको आप के ऑफिस के बाहर खड़ी दुकान में नजर आता है। जब आप ऑफिस से घर आते हैं तो भी वह आपके पीछे-पीछे चुपचाप चलता हुआ आता है।
 
आप अपने परिवार के साथ किसी सिनेमाघर में सिनेमा देखने जाते हैं तो वह व्यक्ति भी सिनेमाघर में आपको नजर आता है। आप किसी होटल या रेस्तरां में खाना खाने जाते हैं तो वह व्यक्ति आपको वहां पर नजर आता है। सुबह जब आप अपने घर की खिड़की खोलते हैं तो आप देखते हैं कि सामने वाली पार्क की बेंच पर वह व्यक्ति बैठा है। आमतौर पर इसे कोई अपराध नहीं माना जाता था क्योंकि वह व्यक्ति ना तो आपको तंग कर रहा है ना तो आपको कुछ बोल रहा है ना आपके जीवन की सामान्य गतिविधियों में कोई बाधा उत्पन्न कर रहा है, परन्तु यही हरकत स्टॉकिंग कहलाती है।
 
विदेशों में जहां यह अपराध है वहां भारत में यह अभी तक अपराध की श्रेणी में नहीं था परंतु हाल में किए गए संशोधनों के मुताबिक धारा 354 डी आईपीसी के तहत अगर किसी लड़की का कोई पीछा करता है तो यह स्टॉकिंग का अपराध माना जाएगा. यही पीछा अगर साइबर की दुनिया में होता है या कंप्यूटर की तकनीक से होता है तो इसे साइबर स्टॉकिंग कहा जाएगा जैसे अगर कोई व्यक्ति किसी लड़की को बार-बार ईमेल करके परेशान कर रहा हो और लड़की उस ईमेल का जवाब न देना चाह रही हो या उससे किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर दोस्ती करना चाह रहा हो और लड़की उसे मना कर रही हो या उसे बार-बार एसएमएस कर रहा हो तो यह साइबर स्टॉकिंग के तहत जुर्म माना जाएगा।
 
इस वर्ष जनवरी में धारा 354 डी आईपीसी के तहत पुणे के एक मुकदमे में माननीय न्यायालय JMFC, खेड, राजगुरु नगर पुणे ने राज्य बनाम अतुल गणेश पाटिल केस में त्वरित निर्णय देते हुए अभियुक्त अतुल गणेश पाटिल को दो वर्ष की सश्रम सजा तथा 500 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।
 
अभियुक्त गणेश पाटिल एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के पद पर तैनात था। पीड़िता वहां नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आई थी तथा प्रवेश के समय प्रवेश रजिस्टर पर उसने अपना व्यक्तिगत मोबाइल नंबर लिख दिया था। अभियुक्त पीड़िता का नंबर वहां से नोट कर उसे व्हाट्सऐप पर अश्लील संदेश भेजने लगा तथा फ़ोन कर अश्लील बातें करने लगा।
 
पीड़िता ने थाने पर मुक़दमा लिखाया और पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अभियुक्त को साइबर स्टॉकिंग मामले में दोषी पाते हुए धारा 354 डी आईपीसी में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।
 
कौन हैं राजेश साहनी : राजेश साहनी, 1992 बैच के उत्तर प्रदेश प्रांतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। पुलिस सेवा में आने से पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी काम कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नियुक्ति के अतिरिक्त राष्ट्रीय जांच अभिकरण (एनआईए), एसटीएफ में भी कार्य कर चुके हैं तथा वर्तमान में आतंकवाद निरोधक दस्ता में अपर पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात हैं।
 
साइबर क्राइम और आतंकवाद से जुड़े विषयों पर न्यू मैक्सिको, अमेरिका, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, नई दिल्ली, राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद, सीटीडीएस हैदराबाद आदि में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
 
साइबर क्राइम और इससे जुड़े विषयों पर उत्तर प्रदेश पुलिस, राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ, न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (JTRI), लखनऊ, सीटीडीएस गाज़ियाबाद, निजी विश्वविद्यालयों आदि में प्रशिक्षण प्रदान कर चुके हैं। 

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