हिन्दी की राहों में बहुत रोड़े हैं...

शम्भू नाथ
अंग्रेजी जो बतियाते उनसे,
हाथ हमने जोड़े हैं। 
हिन्दी की राहों में आज भी,
बहुत रोड़े हैं।
 
अंग्रेजी ही बोलने पर,
मिलती है अच्छी पदवी।
हिन्दी जो बोलता है,
रहता हमेशा रद्दी।
 
हिन्दी ही बोलकर हमने,
आशाओं को तोड़े हैं।
हिन्दी की राहों में आज भी,
बहुत रोड़े हैं।
 
पढ़ा-लिखा बहुत हूं,
समझता हूं अंग्रेजी।
मन नहीं है कहता,
न मैंने अंग्रेजी बोली।
 
हिन्दी के रचयिता,
आज भी बहुत थोड़े हैं।
हिन्दी की राहों में आज भी,
बहुत रोड़े हैं।

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