हिन्दी पर कविता : संस्कृत की लाड़ली बेटी है हिन्दी

Webdunia
मृणालिनी घुले

संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है यह हिन्दी।
बहनों को साथ लेकर चलती है यह हिन्दी।
 
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,
ओजस्विनी है और अनूठी है यह हिन्दी।
 
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,
मैत्री को जोड़ने की सांकल है यह हिन्दी।
 
पढ़ने व पढ़ाने में सहज है, यह सुगम है,
साहित्य का असीम सागर है यह हिन्दी।
 
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,
कवि सूर के सागर की गागर है यह हिन्दी।
 
वागेश्वरी का, माथे पर वरदहस्त है,
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है यह हिंदी।
 
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,
उसको भी अपनेपन से लुभाती है यह हिन्दी।
 
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं, 
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है यह हिन्दी।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रात में Wi Fi राउटर बंद करने से क्या होता है? क्या हेल्थ पर पड़ता है कोई असर?

चाणक्य की इन बातों से जानें जीने की कला, अगर सीख ली तो कदमों में होगी दुनिया

क्या महिलाओं को भी होता है स्वप्नदोष, क्या कहते हैं डॉक्टर्स?

1 मिनट से लेकर 1 घंटे तक चलने के हैरान कर देने वाले फायदे, जानिए हर मिनट के साथ आपके शरीर में क्या बदलता है?

ऑपरेशन सिंदूर की कर्नल सोफिया कुरैशी का रानी लक्ष्मीबाई से क्या है कनेक्शन

सभी देखें

नवीनतम

पार्टनर के लिए 20 बेहतरीन रोमांटिक गुड मॉर्निंग लव शायरी और कोट्स

भारत में कैसे आता है मॉनसून? समझिए बारिश का पूरा विज्ञान

ओवरथिंकिंग को कम कर सकते हैं ये फूड्स, जानें फायदे

हर आदमी को पता होनी चाहिए दिल के दौरे की ये शुरुआती निशानियां

बरखा की बूंदों में भीगी ये शायरी पढ़ कर दिल हो जाएगा तरोताजा

अगला लेख