9/11 की मौन बरसी

Webdunia
लेखक एम.एम.चंद्रा
इतिहास की कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनको दुनिया हमेशा याद करती है या याद रखती है या बार-बार याद दिलाया जाता है। इतिहास में 9/11 की घटना को  दुनिया हमेशा याद रखेगी क्योंकि यह हमला दुनिया में युद्ध के जरिए लोकतंत्र स्थापित करने वाले सबसे ताकतवर देश पर हुआ था। 

अमेरिकी राष्ट्रपति ने मौन रहकर इस तारीख को याद करके बहुत बड़ा काम किया है, क्योंकि अगर बात होगी तो दूर तक जाएगी। बात होगी तो ओबामा से पूछा जाएगा कि आर्थिक ताकत वाले टावर को निशाना क्यों बनाया गया? और वे इतने भोले हैं कि पूरी दुनिया को आराम से, बिना युद्ध किए बता देंगे कि अमेरिकी आर्थिक नीतियों ने ही पूरी दुनिया में आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने में मदद की है। इन्हीं नीतियों ने अमेरिकी नजरों में आतंकवादियों को जन्म दिया है। उन्हीं  नीतियों के चलते युद्ध द्वारा लोकतंत्र स्थापित करने के लिए कुछ देशों को एक दूसरे के खिलाफ दुश्मन बनाना पड़ा है। दुनिया के सामने समय-समय पर नए-नए दुश्मन पैदा करने पड़े हैं।
 
फिर उन्हें यह भी बताना पड़ेगा कि ईराक में तेल को लूटने के लिए नहीं, बल्कि वहां लोकतंत्र की स्थापना हेतु युद्ध करना पड़ रहा है। वियतनाम में कई दशकों तक युद्ध लड़ना जरूरी था। पूरी दुनिया पर आर्थिक राजनीतिक पकड़ के लिए समय-समय पर आर्थिक पाबंदी करनी जरूरी होती है, इसलिए ऐसे मौकों पर मौन रहना किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे ज्यादा तपस्या का काम है। जो अमेरिका आज के दिन कर रहा है, उसी प्रकार कुछ देश भी यही कर रहे हैं ताकि दो मिनट का मौन जैसे ही खतम हो, तुरंत विश्वशांति के लिए युद्ध का काम शुरू हो।
 
सरकार किसी की भी हो, अमेरिका युद्धों के द्वारा लोकतंत्र स्थापना करने की अपनी नीति पर कायम है। भविष्य के लोकतांत्रिक तानाशाह डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप ने भी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आकर मौन धारण किया। लेकिन वे आपने तानाशाह या हिटलरी शांति संदेश को पूरी दुनिया के सामने पहले ही रख चुके हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर दोनों ने अपनी प्रतिद्वंद्विता भुला दी है। यह चरित्र ही अमेरिकी लोकतंत्र को दुनिया में जिंदा रखने के लिए और दोनों के सबसे ज्यादा जरूरी है। यही काम दोनों में से किसी न किसी को तो करना ही है। दोनों ने ही इस हमले को आज भी राष्ट्रपति चुनावों में मुद्दा बना रखा है। जो हो गया सो हो गया, यह मुद्दा हमेशा जिंदा रहना चाहिए ताकि इस मुद्दे की वजह से अमेरिका में आने-जाने वाले और रहने वाले लोगों को कभी भी, कहीं भी, अमेरिकी लोकतंत्र को बचने के लिए जेलों में डाला जा सके। अतः ऐसे मौके पर मौन रहना कोई बुरा तो नहीं है। वैसे भी मौन की राजनीति को सब समझते हैं।     
 
यह इतिहास की सबसे बड़ी तारीख इसलिए भी है क्योंकि आज तक अमेरिका ने दूसरे देशों की धरती पर ही लोकतंत्र स्थापित करने के लिए युद्ध किए हैं। आज ही के दिन पहली बार अमेरिका ने अपनी धरती पर अलोकतंत्र स्थापित होते देखा है। इसलिए 9/11 के हमले को मौन रहकर ही मनाया गया है, क्योंकि आज के बाद फिर से अमेरिका के शांति संदेश पूरी दुनिया में गूंजेगी।
 
बाकी लोगों ने मारे जाने वाले लोगों के स्मारक पर अपने अपने लोगों की तस्वीरों पर मौन होकर मोमबत्तियां जलाईं और फूल चढ़ाए, लेकिन जिन देशों में अमेरिका द्वारा लोकतंत्र स्थापित किया गया, वहां की जनता मौन नहीं है। बस यही एक घटना खराब है।
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

अगला लेख