काव्य संग्रह ’बिखरने से बचाया जाए’ का लोकार्पण

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दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब (डिप्टी चेयरमैन हॉल) में 7 मई शनिवार शाम लेखिका श्रीमती अलका सिंह के काव्य संग्रह ’बिखरने से बचाया जाए’ का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार एवं आलोचक डॉ. नामवर सिंह ने किया।


इस मौके पर उन्होंने कहा कि हिंदी में गजल लिखना मुश्किल काम है। बहुत कम लोग ही लिखते हैं। लेकिन अलका सिंह की किताब एक उम्मीद जगाती है कि कविता, गजलें और मुक्तक को आने वाली पीढ़ी जिंदा रखेंगी। यह अनूठा काव्य संग्रह है। उन्होंने कहा कि लोकार्पण कार्यक्रम में इतने लोगों का जुटना अपने आप में मायने रखता है।
 
राजनीति करने वालों ने दिल्ली को उजाड़ दिया है। यह केवल राजधानी बन कर न रहे, बिखरने से बचे। इसके लिए कविताएं जरूरी हैं। ''जरूरी तो नहीं खुशियां ही मिलें दामन में, कुछ गमों को भी तो सीने से लगाया जा'' बेहतरीन शेर है।
 
समीक्षक अनंत विजय ने कहा कि यह संग्रह कॉकटेल है, जिसमे गजलें, कविताएं और मुक्तक हैं। हिंदी साहित्य में प्रेम का भाव है, लेकिन इस संग्रह ने नई उम्मीद जगाई है। रिश्तों को लेकर लेखिका की बेचैनी साफ झलकती है।
 
'दाग अच्छे हैं' में अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग धूप में मोती की तरह है। आधुनिक युग की त्रासदी 'सुख बेच दिए, सुविधाओं की खातिर' में साफ झलकती है। शब्दों के साथ ठिठोली काबिले-तारीफ है।
 
कवि‍यित्री अनामिका ने कहा कि लेखिका की सोच व्यापक है, समावेशी है, समेटने की कोशिश है। स्पष्ट और मुखर होकर बेबाकी से हर बात कही गई है। कई आयामों को छूती ये रचनाएं सीधे मन को छूती हैं.।
 
अमरनाथ अमर ने कहा की कविता कई सवाल उठाती है और समाधान देती हैं। "अपना कफन ओढ़कर सोने लगे हैं लोग" विश्व स्थिति को व्यक्त करती है। मंच संचालन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक प्राध्यापक डॉ. सौरभ मालवीय ने किया। सार्थक पहल का यह आयोजन प्रवक्ता डॉट कॉम तथा नया मीडिया मंच के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। इस अवसर पर साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां मौजूद थीं।
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