इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 : क्या सोशल मीडिया लिखने की लंबी विधा को खत्म कर रहा है?

नवीन रांगियाल
क्या सोशल मीडिया लिखने की लंबी विधा को खत्म कर रहा है? इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 के दूसरे दिन एक सत्र में इस विषय में हुई चर्चा से कई तर्क सामने आए हैं।
 
उपन्यासकार निर्मला भुराड़िया, बेली कानूनगो, अपर्णा, ललित कुमार और मयूर कुमार ने अपने विचार साझा किए। 
 
ALSO READ: अभयजी की पुस्तक 'अपना इंदौर' के चौथे भाग का लोकार्पण

निर्मला भुराड़िया ने कहा कि सोशल मीडिया एक अद्भुत माध्यम है, लेकिन जिसे लंबा पढ़ना है वो सी मोर कर के पढ़ेगा। कई लेखक वॉल्यूम में लिख रहे हैं। तो सोशल मीडिया ने एक ऐसी जगह दे दी है जहां हमें तत्काल आलोचक और प्रतिक्रिया मिल जाती है। बड़ा लेखन अपनी जगह पर है और अपनी जगह पर रहेगा। 
 
कविताकोश के ललित कुमार ने कहा कि पहले ब्लॉग हुआ करते थे, जहां लंबे आलेख लिखे जाते थे, जिन्हें हम आलेख कहते थे, लेकिन चूंकि अब ब्लॉग बंद से हो गए हैं इसलिए अब अब लांग फॉर्म फेसबुक पर लिखे जा रहे हैं, जिन्हें हम अब पोस्ट कहते हैं। 
 
- हमें लिखने में विश्वसनीय होना चाहिए
 
निर्मला भुराड़िया ने कहा कि हालांकि सोशल मीडिया पर सही गलत कंटेंट को जांचने का कोई तरीका नहीं है लेकिन यह हमें अपने स्तर पर देखना चाहिए। हमें विश्वसनीय होना चाहिए। 
 
-अच्छा लेखन खत्म नहीं होता
 
ललित कुमार ने कहा, सोशल मीडिया की वजह से लेखन का लॉन्ग फॉर्म राइटिंग खत्म नहीं होगा, जिसे पढ़ना है वो आपकी वॉल पर आकर पढ़ेगा ही। लोग इसीलिए आज भी किताबें खरीद रहे हैं। ऐसे में अच्छा लिखा गया अगर लंबा भी होगा तो वो पाठक को अपनी तरफ खींचकर लाएगा। 
 
- सोशल मीडिया न होता तो मैं भी नहीं होती
 
अपर्णा ने कहा कि सोशल मीडिया ने उनके लेखन को प्रभावित किया है। उन्हें सोशल मीडिया की तरफ जाना पड़ता है, इंस्टाग्राम और दूसरे प्लेटफार्म का सहारा लेना पड़ता है। 
 
बेली ने कहा कि सोशल मीडिया नहीं होता तो मेरी किताब उतना पॉपुलर नहीं हो पाती, आज मैं सोशल मीडिया की वजह से ही चर्चा में हूं, लेकिन मुझे इसकी लत नहीं है। मैं अपने केलकुलेटेड टाइम में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हूं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण में क्या अंतर है, समझिए

कितनी खतरनाक बीमारी है गिलियन बैरे सिंड्रोम, इलाज के लिए 1 इंजेक्शन की कीमत 20 हजार

बेटे को दें ऋग्वेद से प्रेरित ये नाम, अर्थ जानकर हर कोई करेगा तारीफ

खजूर से भी ज्यादा गुणकारी हैं इसके बीज, शुगर कंट्रोल से लेकर इम्यूनिटी बूस्ट करने तक हैं फायदे

जानिए ठंडी हवाओं और रूखे मौसम का बालों पर कैसा असर पड़ता है? सर्दियों में लंबे बालों की देखभाल क्यों है जरूरी?

सभी देखें

नवीनतम

हिन्दी कविता : स्मृतियां अनिमेष

रामसरूप के बहाने कहानी हमारे समाज का 360 डिग्री एंगल

रहस्यवादी और आध्यात्मिक गुरु, अवतार मेहर बाबा की पुण्यतिथि

इन टिप्स को अपनाने से आपके बच्चों के साथ हमेशा अच्छे रहेंगे रिलेशन, बहुत काम की हैं ये बातें

सोते समय क्या बालों को बांधकर रखना है सही, जानिए है बालों की सेहत के लिए राइट चॉइस

अगला लेख