साहित्यकार ज्योति जैन के काव्य संग्रह 'जेब में भरकर सपने सारे' का विमोचन

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ज्योति जैन की कविताएं स्त्री जीवन की विडम्बनाओं पर नज़र डालती हैं: डॉ.आशुतोष दुबे 
ज्योति जैन की कविताओं की परंपरा प्रियता प्रभावित करती है : डॉ. विकास दवे  
 
ज्योति जैन की कविताओं की पारम्परिकता और भारतीयता उन्हें अन्य रचनाकारों से अलग पंक्ति में खड़ा करती हैं। उनकी कविताओं पर आधुनिक युग के तथाकथित थोपे हुए विमर्श प्रभाव नहीं डाल पाते। उनके काव्य सृजन को आने वाले समय में समालोचनाकार इसी कारण रेखांकित करेंगे ऐसी संभावनाएं उनके काव्य में अभी से परिलक्षित होती हैं। 
 
उक्त विचार डॉ. विकास दवे,साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश शासन,भोपाल के निदेशक ने व्यक्त किए....वे इंदौर में शहर की जानी मानी साहित्यकार ज्योति जैन के काव्य संग्रह जेब में भरकर सपने सारे के विमोचन समारोह में अध्यक्षता कर रहे थे....
 
उन्होंने कहा कि सद्य प्रकाशित काव्य संग्रह 'जेब में भरकर सपने सारे' की कविताएं सामाजिक सरोकारों को अपने में समेटे हैं। उनके काव्य सौष्ठव से अधिक पाठकों को उनकी परंपरा प्रियता प्रभावित करती है। विशेषकर वे छंदबद्ध लिखें या छंदमुक्त...उनकी कविताओं के प्रतीक और बिंब सदैव भारतीय मनीषा से आयातित होते हैं.... मैं उन्हें भावी साहित्य सृजन हेतु शुभकामनाएं देता हूं।
 
 
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में  शामिल सुविख्यात कवि डॉ. आशुतोष दुबे ने कहा कि ज्योति जैन अपनी कविताओं में अपने आसपास को, स्त्री को, प्रेम को विविध कोणों से देखती हैं। उनकी दृष्टि व्यापक है और चिन्ताएं बहुविध। स्त्री जीवन की विडम्बनाओं पर उनकी पैनी नज़र है लेकिन वे 'अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी' के पराजित स्वीकार भाव की नहीं, संघर्ष की कवि हैं।
 
कवयित्री ज्योति जैन के अब तक 3 लघुकथा संग्रह, 3 कहानी संग्रह, 3 काव्य संग्रह, 1 यात्रा संस्मरण, 1 निबंध संग्रह व 1 उपन्यास आ चुके हैं... जेब में भरकर सपने सारे उनका नवीनतम काव्य संग्रह है जो बोधि प्रकाशन से आया है....
 
वामा साहित्य मंच के बैनर तले आयोजित इस विमोचन समारोह में कवयित्री ज्योति जैन ने कहा कि जरूरी नहीं कि पीड़ा से ही कविता उपजे...कविता स्वयं मुखर होकर अपने भाव पाठकों तक सम्प्रेषित कर दे वही कविता है...प्रेम को मैं सर्वोपरि मानती हूं...स्त्री व प्रेम एक दूजे के पूरक हैं...यही वजह है कि मेरी कविताएं इन्हीं के इर्दगिर्द अपनी अभिव्यक्ति तलाशती है.... 
 
साहित्यकार पंकज सुबीर ने अचानक उपस्थिति देकर कार्यक्रम में ऊर्जा भर दी...उन्होंने कहा कि कोरोना काल के बाद हो रहे इस रचनात्मक आयोजन से ऊष्मा ग्रहण करने के लिए मैं भोपाल से आया हूं...
 
कार्यक्रम के आरम्भ में स्वागत उद्बोधन वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष अमर चढ्ढा ने दिया, भारती भाटे ने वंदेमातरम की प्रस्तुति दी....अतिथियों का स्वागत मंच की संस्थापक पद्मा राजेंद्र,सिद्धांत जैन,सुभाष कुसुमाकर,गरिमा संजय दुबे ने किया,स्मृति चिन्ह डॉ.यूएस तिवारी और सुश्री विजयलक्ष्मी आयंगर ने प्रदान किए....
 
संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने ज्योति जैन की कविताओं का वाचन किया, आभार शरद जैन ने प्रकट किया और कार्यक्रम का संचालन स्मृति आदित्य ने किया....

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