पत्रकारिता के नए दौर पर परिचर्चा

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12 फरवरी को पटना पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन एक और विशेष परिचर्चा का आयोजन हुआ। पत्रकारिता का नया दौर विषय पर आयोजित इस परिचर्चा में ‘हिन्दुस्तान’ के प्रधान संपादक शशिशेखर ने बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया। इस परिचर्चा कार्यक्रम में पत्रकार और आलोचक अनंत विजय ने शशिशेखर जी से बातचीत की।

आज का युग वास्तव में पत्रकारिता का युग है। हालांकि पत्रकारिता के रूप और तेवर लगातार बदलते रहे हैं, इसने सूचना और तकनीक की तमाम उपलब्धियों का उपयोग करते हुए निरंतर अपने आप को संवारा है। सोशल साइट्स के तमाम माध्यमों की गतिशीलता के साथ ताल से ताल मिलाकर पत्रकारिता भी तेजी से विकसित हो रही है। यह पत्रकारिता के बदलते दौर का एक पहलू है। इसके अलावा उसके बदलते दौर के और भी कई पहलू हैं जिनपर बातचीत अपेक्षित है। आज हमारे समाज में उसकी बदलती भूमिका, हमारे मानसिक और बौद्धिक व्यक्तित्व के विकास में उसकी भूमिका और हमारे परिवेश के निर्माण में उसकी भूमिका और इन सबके साथ इस बदलते दौर में पत्रकारिता के अपने नीतिशास्त्र पर विचार-पुनर्विचार भी जरूरी है। इन्हीं सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस परिचर्चा का आयोजन किया गया।   
  
पत्रकारिता का नया दौर विषय पर होने वाली इस चर्चा में मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत की शशिशेखर जी ने। शशिशेखर जी ने आम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है और बनारस हिन्दू विश्विद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्त्व का अध्ययन किया है। ‘हिन्दुस्तान’ दैनिक के प्रधान सम्पादक के रूप में एक लम्बा सफ़र तय करते हुए वे समाज, संस्कृति, राजनीति, इतिहास और धर्म के ज्वलन्त मुद्दों पर लगातार लिखते-पढ़ते रहे हैं। इन मुद्दों से जुड़े विचार-विमर्शों में उन्होंने लगातार सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई है और एक ‘पब्लिक इंटेलेक्चुअल’ के रूप में मुकम्मल ख्याति भी अर्जित की है।
 
इस परिचर्चा में शशिशेखर जी के साथ अनंत विजय जी ने बातचीत की। अनंत विजय प्रसिद्ध स्तंभकार और मीडिया विशेषज्ञ हैं। इन्होंने पत्रकारिता और बिजनेस मैनेजमेंट में अपनी शिक्षा पूरी की है। ‘प्रसंगवश’, ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ और ‘बॉलीवुड सेल्फी’ उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। अपनी विषय-वस्तु और विश्लेषण के कारण ‘बॉलीवुड सेल्फी’ ने काफी चर्चा बटोरी है। अनंत विजय इस समय ISBN7 में डिप्टी एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं।
 
वाणी प्रकाशन ने विगत 55 वर्षों से हिन्दी प्रकाशन के क्षेत्र में कई प्रतिमान स्थापित किए हैं। वाणी प्रकाशन को फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स द्वारा ‘डिस्टिंग्विश्ड पब्लिशर अवार्ड’ से नवाजा गया है। वाणी प्रकाशन अब तक 6000 से अधिक पुस्तकें और 2500 से अधिक लेखकों को प्रकाशित कर चुका है। हिन्दी के अलावा भारतीय और विश्व साहित्य की श्रेष्ठ रचनाओं का प्रकाशन कर इसने हिन्दी जगत में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। नोबेल पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार और अनेक लब्ध प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त लेखक वाणी प्रकाशन की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा हैं। हाल के वर्षों में वाणी प्रकाशन ने अंग्रेजी में भी महत्त्वपूर्ण शोधपरक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने अपने गैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फाउंडेशन के तहत हिन्दी के विकास के लिए पहली बार ‘हिन्दी महोत्सव’ और अनुवाद के लिए ‘डिस्टिंग्विश्ड ट्रांस्लेटर अवार्ड’ की भी नींव रखी है। इस वर्ष यह अवार्ड प्रख्यात कवयित्री और विदुषी डॉ. अनामिका को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान प्रदान किया गया है। इस बार 3-4 मार्च को ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर किया जा रहा है। 
 
पटना पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन अपने पाठकों के लिए 75 नई पुस्तकें लेकर उपस्थित हुआ। साहित्य की विविध विधाओं के अलावा समाज विज्ञान, इतिहास, मीडिया और एथनोग्राफी पर प्रकाशित ये पुस्तकें हर तरह के पाठकों के लिए ज्ञानके साथ-साथ एक नए अनुभव संसार का झरोखा खोलती हैं। वाणी प्रकाशन का लोगो ज्ञान की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा है, जिसे मशहूर कलाकार स्व. मकबूल फिदा हुसैन ने बनाया है।
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