साहित्य : कथाकार शशिभूषण द्विवेदी का असमय निधन

Webdunia
शुक्रवार, 8 मई 2020 (09:00 IST)
कथाकार शशिभूषण द्विवेदी का असमय न‍िधन हो गया। वे सिर्फ 45 वर्ष के थे। उनके न‍िधन से साह‍ित्‍य जगत में शोक छा गया है।

शशि‍ भूषण ने 'एक बूढ़े की मौत', 'कहीं कुछ नहीं', 'खेल', 'खिड़की', 'छुट्टी का दिन' और 'ब्रह्महत्या' जैसी कहानियों से हिंदी कथा साहित्य को समृद्ध क‍िया और अपनी जगह बनाई थी। वे लगातार लेखन में सक्र‍िय थे।

मीड‍िया में आई र‍ि‍पोर्ट के मुताबिक उनका न‍िधन गुरुवार शाम करीब 6 बजे हृदय गति रुक जाने के कारण हुआ। फि‍लहाल वे पूरी तरह से स्वस्थ थे और सक्रिय भी थे। हालांकि कहा जाता है क‍ि इसे पहले वे लंबे समय तक बीमार रहे थे।

दो साल पहले ही उनका कथा संग्रह 'कहीं कुछ नहीं' राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था।

26 जुलाई 1975 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में जन्मे शशिभूषण द्विवेदी की कहानी की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। लेखन में उनके योगदान के लिए उन्हें 'ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार', 'सहारा समय कथा चयन पुरस्कार', और 'कथाक्रम कहानी पुरस्कार' से नवाजा जा चुका है।

फेसबुक पर कई लोगों ने उन्‍हें श्रध्‍दाज‍ंल‍ि देकर दुख जताया है। साह‍ित्‍य जगत के लोगों का कहना है क‍ि ऐसे अमसय में ऐसे सक्रि‍य और अच्‍छे लेखक का चला जाना दुखद है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

बारिश के मौसम में जरूर पिएं ये 5 हेल्दी ड्रिंक्स, शरीर को देंगे इम्युनिटी, एनर्जी और अंदरूनी गर्माहट

रोने के बाद क्या सच में आंखें हो जाती हैं स्वस्थ? जानिए इसके पीछे का साइंटिफिक सच

टॉप 7 फूड्स जो मसल्स रिकवरी को तेजी से सपोर्ट करते हैं, जानिए जिमिंग के बाद क्या खाना है सबसे फायदेमंद

दही खाते समय लोग करते हैं ये 8 बड़ी गलतियां, सेहत पर पड़ सकता है बुरा असर

शिव के विषपान प्रसंग पर हिन्दी कविता : नीलकंठ

सभी देखें

नवीनतम

कारगिल की जंग में भारत के साथ थे कौन से देश और किसने दिया था दुश्मन पाकिस्तान का साथ, जानिए इतिहास

डॉलर या पाउंड नहीं, ये है दुनिया की सबसे महंगी करेंसी, जानिए इसके मुकाबले कहां ठहरता है आपका रुपया

बरसात के मौसम में ये 5 आसान योगासन कर सकते हैं आपकी इम्युनिटी की रक्षा

सदाबहार की पत्तियां चबाकर खाने के ये 7 फायदे नहीं जानते होंगे आप

26 जुलाई 1999 को क्या हुआ था, जानें कारगिल दिवस पर 6 खास बातें

अगला लेख