World Emoji Day : सोशल मीडिया पर उड़ते चुंबन, धड़कते दिल भेजने से पहले सोचिए तो सही

डॉ. छाया मंगल मिश्र
17 जुलाई विश्व इमोजी दिवस 
 
 छोटी का आज मूड बहुत ख़राब था। उसके पति को उसकी सहेली मन चाहे जैसे इमोजी मेसेज भेजती रहती है। ढेर लाल पीले रंग के फ्लर्टी इमोजी होते है। दिल और दिलों के आकर से जुड़े इमोजी के साथ उड़ते चुंबन भी सामान्य बात होती। उसकी सखी कोई गंवार नहीं, प्रोफेसर है। कई लोग इसी बीमारी का शिकार हैं। अति आत्मीयता के प्रदर्शन के मारे। 
 
ये केवल एक उदाहरण है। ऐसा कई लोग करते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि कब कौन से इमोजी का इस्तेमाल करना चाहिए। इमोजी महज़ कुछ मज़ेदार आयकन नहीं हैं जिन्हें आप इस्तेमाल करते हैं। यह डिजिटल दुनिया की भाषा है, वह भाषा जो किसी भी बाधाओं को पार करके दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक आपकी बात आसानी से पहुंचा पाती है। एक इलेक्ट्रोनिक चित्रों का समूह है इसमें व्यक्ति अपनी भावना को व्यक्त इस इलेक्ट्रोनिक संचार का उपयोग करके करते हैं।

इमोजी भावना, वस्तु या प्रतीक के एक दृश्य का रिप्रजेंटेशन होता है। यह विभिन्न फोन या सोशल नेटवर्किंग साईट पर विभिन्न रूपों में होता है। कुछ इमोटिकॉन का उपयोग इमोजी के रूप में भी होता है। इमोटिकॉन में अपनी भावना को अभिव्यक्त करने के लिए टाइपोंग्राफ़िक प्रदर्शन को संदर्भित किया जाता है, जबकि इमोजी वास्तविक चित्र से भावना को व्यक्त करता है। इमोजी इन सभी आधुनिक संचार माध्यम में मौजूद होते हैं ।
 
जाने अनजाने हम इनका उपयोग तो कर लेते हैं पर इस बात से अनभिज्ञ रहते हैं कि ‘प्यार बांटते चलो’ की तर्ज पर इसका उपयोग किसी का दाम्पत्य भी खतरे में डाल सकता है। अर्थ का अनर्थ कर सकता है। कारण सिर्फ एक है इनका सही व उचित तरीके से उपयोग न आना या जानकारी का अभाव। 
 
इमोजी सबसे तेजी से बढ़ती भाषाओँ में से एक हो गया है। इमोजी को शुरू में जापान में उपयोग किया जाता था और अब इसका इस्तेमाल पूरे विश्व में होने लगा है इमोजिपिडिया के संस्थापक जेरेमी बर्ज ने 2014 में विश्व इमोजी दिवस मनाने का निर्णय लिया, उसके बाद 17 जुलाई विश्व इमोजी दिवस को वैश्विक उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। पहली बार इसका अविष्कार और इस्तेमाल शिगाटेका कुरिता ने किया था और 2011 में जब आईफ़ोन ने इसको पेश किया, तब से इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से होने लगा। इमोजी का उपयोग अनौपचारिक बातचीत तक सीमित बेहतर होता है, इसका व्यापारिक बातचीत में इस्तेमाल कम होना चाहिए। 
 
कहा तो यह भी जाता है कि इमोजी की शुरूआत 17वीं शताब्दी में ही हो गई थी. 2014 में अंग्रेजी वेबसाइट द अटलांटिक में छपे एक लेख में बताया गया कि 1648 की एक कविता मिली है जिसमें स्माइली का इस्तेमाल किया गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो प्रेस के पब्लिसिटी मैनेजर एडिटर लेवी स्टाल, काम के सिलसिले में रॉबर्ट हैरिक की कविताएं खंगाल रहे थे जिसमें ‘टू फॉर्च्यून’ नाम की एक कविता की दूसरी लाइन में उन्हें : ) बना हुआ दिखाई दिया। इससे यह सवाल उठने लगा कि क्या इमोजी का कारोबार 4 सदियां पुराना है। 
 
मौजूदा दौर की बात करें तो पहला इमोजी 1999 में जापान के कलाकार शिगेटाका कुरिता ने बनाया था। कुरिता जापान की मोबाइल कंपनी डोकोमो के इंटरनेट प्लैटफॉर्म को तैयार करने का काम कर रहे थे। उन्होंने ऐसे 176 इमोजी तैयार किए जो साधारण तरीके से जानकारी पहुंचा सके। कुरिता ने ऐसे कैरेक्टर तैयार किये थे जो मौसम का हाल (जैसे बादल, धूप, छतरी, बर्फ), ट्रैफिक (कार, ट्रैम, एयरप्लेन, जहाज़), तकनीक (लैंडलाइन, सेलफोन, टीवी) बता सके.... लेकिन बात बस यहीं खत्म नहीं हुई। जानकारी से आगे बढ़कर बात दिल के हाल तक पहुंच गई।  दिल बनाकर दिल का हाल बयां किया जाने लगा और बस यहीं से बात जरा गड़बड़ हो गई। सभी बिना समझे इसका जमकर उपयोग करते। इस पर सबका हक़ हो गया, बच्चों से लेकर बुजुर्ग, गांव से लेकर शहर तक मोबाइल इस्तेमाल करने वाला हर शख्स इमोजी का दिल खोलकर इस्तेमाल करता है। 
 
इमोजी भी आरोपों और राजनीति से बच नहीं पाए। कई देश और संस्कृति के लोगों को शिकायत है कि इमोजी में उनका उचित प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा है। इसके बाद यूनीकोड ने कुछ ऐसे इमोजी पर काम करना शुरू किया जो समाज के हर वर्ग, हर संस्कृति का ख्याल रखे, जो पुरुष, महिला, समलैंगिक की भावना को व्यक्त करने में काम आ सके। हालांकि शिकायतें अभी भी जारी हैं और ऐसे इमोजी को तैयार करने की कोशिशें भी जारी हैं जो हर व्यक्ति उसका इस्तेमाल करके अपना हाल ए दिल बयां कर सके। 
 
विभिन्न अर्थों के लिए अलग अलग इमोजी का प्रयोग होता है समय के साथ इमोजी और भी शक्तिशाली होता जाएगा, क्योंकि लोगों में इमोजी का सनक बहुत ज्यादा है जो बढ़ती ही जा रही है। इमोजी एक उभरती हुई भाषा है जो जल्द ही वैश्विक उपयोग में अंग्रेजी के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकती है।   
 
सोचकर देखिए कि अगर इमोजी न हो तो, दिन का आधे से ज्यादा वक्त जो आप फोन पर बिताते हैं, वो कितना मुश्किल हो जाए। अपनी भावनाओं को लंबी लंबी लाइनों में लिखने का वक्त किसके पास है। ऑनलाइन रहने वाले करीब 92 प्रतिशत लोग इमोजी का इस्तेमाल करते हैं। इंस्टाग्राम पर आधे से ज्यादा पोस्ट इमोजी से भरी होती है। इमोजी LOL और OMG जैसी नेट से उपजी भाषा को खत्म कर रहा है। किसी और को हो न हो, इमोजी से शब्दों के भविष्य को जरूर खतरा है। 
 
 हमारी ऑनलाइन स्‍टाइल में नई दुनिया की  हाइरोग्लिफिक भाषाओं के अलावा दो सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं-इमोटिकॉन्स और इमोजी। भाषा कोई भी हो वो कैंची और खंजर सी खतरनाक भी हो सकती है। कम से कम हम तो इनके बारे में जानें, समझें, बूझें फिर इस्तेमाल करें ताकि हमारी नादानी किसी के लिए परेशानी और झंझटों के साथ गलतफहमियों का सबब न बने। 

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