21 मार्च: विश्व कविता दिवस आज, जानें कविताएं हमसे क्या चाहती हैं?

WD Feature Desk
World poetry day 21 march
HIGHLIGHTS
 
• कविता क्या है?
• शब्दों का तालमेल है कविता।
• कविता के अनेक रूप हैं।

ALSO READ: विश्व वानिकी दिवस कब और क्यों मनाया जाता है, जानें महत्व और 2024 की थीम
 
World poetry day : आज, 21 मार्च को विश्व कविता दिवस है। कविताएं, हमेशा मानवीय भावनाओं की वाहक रही हैं। कभी ये हमारे शब्दों को औरों तक ले जाती हैं तो कभी औरों की बात हम तक पहुंचा देती हैं। अगर कविताएं न होतीं तो शायद बहुत सी प्रेम कहानियां भी गर्भ में दम तोड़ देतीं। मानवीय चेतना प्यासी रह जाती और मूकभावों का वैश्विक युद्ध छिड़ जाता। कितने रिश्ते, कितना बोझ अपने अंदर समेटे अविरल धारा सी बहती हैं कविताएं!
 
कविताएं, वह सबकुछ करती हैं जो हम चाहते हैं, परंतु क्या हम हर बार ये सोचते हैं कि कविताएं हमसे क्या चाहती हैं? उनकी हमसे क्या आशा, अपेक्षा है?
 
निश्छल, निष्पक्ष है कविता : कविताएं संबंधों की एकपक्षीय अभिव्यक्ति की तपिश नहीं सह पातीं और सिसक उठती हैं। पूर्वाग्रहों से निर्देशित होना इनको कभी न भाया। जब-जब इन पर वकालत करने का दबाव बना है, इन्होंने अपनी यात्राएं बीच में ही रोक दी। 
 
इनको नहीं चाहिए वे आंसू जो स्वार्थों में बहे हों। नहीं चाहिए पीड़ा में सने वैसे शब्द जिनके पीछे कोई छिपा हुआ मंतव्य हो। कविताएं बस सोचने को विवश नहीं करतीं, बल्कि पाठक की चेतना में घुल कर उसकी सोच को बदलने तक की क्षमता रखती है। जैसे कोई कारीगर संतुष्ट मन से ही अच्छा काम कर पाता है, वैसे ही कविताएं भी अपने सिद्धांतों की असंतुष्टि के साथ अपना दायित्व निर्वहन नहीं कर पातीं।
 
गहराई में इठलाती है कविता : जो कवि, कविता को उथला बनाता है, कविता उसके पाठकों के आगे लज्जित होकर कुपित होती है। पाठक भी छिछलेपन की काई में फिसल कर गिर जाते हैं और सीधे उनके चित्त को चोट लगती है। 
 
आहत मन अपना प्रतिशोध अमुक कवि को नजरों से गिराकर लेता है। कविता बेबस देखती रह जाती है। वह शिकायत करे भी तो कैसे? उसको तो निष्काम रहकर ही अपना कर्म करना है! अपने मोती भी उपहार में देने हैं तथा कल्पनाओं में डुबकियां भी लगवानी हैं। ये सब ऊपर-ऊपर रह जाने से कैसे होगा? सोचिए तो!
 
कविता को भी श्रृंगार प्यारा : कविता, भावों की शक्ति है। शक्ति अर्थात स्त्री, और हर स्त्री को उसका श्रृंगार अतिप्रिय होता है। सपाटबयानी, कविता की सुंदरता को कम करती है। बिम्बों के गहने उसके तन को जगमगा देते हैं। वक्रोक्ति से उसका स्पर्श त्रिआयामी होता है। कविता को भी जल्दबाजी में सजना-संवरना तनिक भी पसंद नहीं।

अगर वह रणभूमि में ही उतरने जा रही हो तो उसका तथ्यों से बना कवच और ओजयुक्त भाषा का शस्त्र उसे एकदम निखार के पहनाया जाए। पुराने, ठहरे हुए किसी पानी में स्नान करने के लिए बाध्य न किया जाए। मस्तक पर कालजयी टीका लगा देना सोने पर सुहागा हो जाएगा। वैसे परिस्थितियों के अनुसार सामयिकता के कंगन भी उस पर शोभते हैं। 
 
कविता के अनेक रूप : कविता कभी छंदों के रूप में अवतार लेती है तो कभी अतुकांत का वेश बना लेती है। अवसर पड़ने पर गीत-नवगीत के सांचें में ढल जाना भी उसकी मनोहारी लीला है। कविता के इन अलग-अलग रूपों के साधकों का आपस में श्रेष्ठता के लिए दंगल करना, काव्यकला के संसार में पूर्णतः अमान्य है। कविता के किसी भी विशेष रूप की सेवा करना, कविता की ही सेवा है। साधक और सेवक में सरलता हो तभी वे शांति पा सकेंगे।
 
- कुमार गौरव अजीतेन्दु

ALSO READ: 21 मार्च ओशो संबोधि दिवस, इस दिन से वे शरीर में नहीं रहे

सम्बंधित जानकारी

Show comments

इस Mothers Day अपनी मां को हाथों से बनाकर दें ये खास 10 गिफ्ट्स

मई महीने के दूसरे रविवार को ही क्यों मनाया जाता है Mothers Day? जानें क्या है इतिहास

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है ब्राउन राइस, जानें 5 बेहतरीन फायदे

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

थाइलैंड के मनमौजी और ऐय्याश राजा की कहानी 5 पत्‍नियां, कई रखैल और 13 बच्‍चे

करवट लेने पर भी आते हैं चक्कर तो हो सकते हैं ये 6 कारण

खून की कमी को दूर करने के लिए डाइट में शामिल करें ये जूस

ICMR का प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने को लेकर अलर्ट, बताया क्‍या होती है हेल्दी डाइट?

कबूतर से हैं परेशान तो बालकनी में लगाएं ये 4 पौधे, कोई नहीं फटकेगा घर के आसपास

अगला लेख