युवा शिक्षकों की नैतिक जिम्मेदारी

Webdunia
आरती चित्तौडा
हर युवा का सपना होता है। कुछ युवाओं की मंजिल ही शिक्षा का क्षेत्र होती है। कुछ अंतिम विकल्प के तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में आ जाते हैं।

शिक्षक भावी पीढ़ी का निर्माता होता है। एक ऐसा इंसान जिस की हर बात में दम होता है। उसके व्यवहार में एक अपनापन, एक गरमाहट होती है जो नई पीढ़ी को अच्छे संस्कार देती है। वह ऐसी शिक्षा देता है, जो विषम परिस्थि‍ति से लड़ना सिखाती है। साफ शब्दों में कहें तो शिक्षक वह शख्स है, जिसके ऊपर समाज की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी रहती है, क्योंकि वह कई बच्चों के भविष्य का नि‍र्धारक होता है।
 
युवा वर्ग जो एक आदर्श लेकर अपनी जिंदगी संवारने में प्रयासरत है, क्या वे खुद उन बच्चों के लिए आदर्श स्थापित कर पा रहे है? गांव, कस्बों और शहरों में बड़ी  तादाद में प्राईवेट स्कूल हैं, जो एक ओर युवाओं को रोजगार दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे प्रश्न हैं जिनके जवाब शायद ही इन युवा शिक्षकों के पास हों :
 
1 आप शिष्टाचार और शालीनता का पाठ बच्चों को पढ़ाते हैं, लेकिन आप स्वयं बात करते वक्त यार, साला और अन्य इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं। गुस्से में बच्चों को चॉक से मार देते हैं।
2 आपका ड्रेसअप आपकी शालीनता की बातों से कोसों दूर है। जींस टॉप, कट स्लिव्स, टाइट लेगिंस, आपकी टीचर वाली छवि को धूमिल कर रहा है।
3 आप अपने स्कूल का रिजल्ट सुधारने के लिए छात्रों को खुलेआम परीक्षा में नकल करवाते हैं। इससे आपके स्कूल का रिजल्ट तो सुधर जाता है, लेकिन आप ऐसा करके स्टूडेंट के सामने कौन-सा आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
4 आपकी गुटखा खाने व धुम्रपान करने की आदत है, आप इसके आदि हैं। क्या आप क्लास रूम से बाहर जाकर धुम्रपान करते हैं? यह बात आपकी क्लास में पढ़ने वाले कुछ बच्चों को पता है। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे? 
 
5 स्कूल में प्रतियोगि‍ताएं होती हैं। आप उन बच्चों के साथ मेहनत ही नहीं करना चाहते जिन्हें एक अवसर की तलाश है। आप उन्हीं को आगे बढ़ाते है, जिन्हें पहले से आता है।
 
इस तरह के काम आपकी छवि को धूमिल करते हैं। हमारे भारतीय समाज में शिक्षक का स्थान सर्वोच्च है। आज भी अभिभावकों के दिमाग में शिक्षकों की छवि साफ सुथरी है। ऐसे में युवा शिक्षकों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने व्यवहार में ऐसी बातों का समावेश न होने दें, जिनसे छात्रों पर गलत असर पड़े। यह बातस्पष्ट है कि युवा शिक्षकों को बडी समझदारी से अपनी जिम्मेदारी को निभानी होगा।
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