वरिष्ठ कवि कृष्णकांत निलोसे ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि आज ज्योतिजी के सम्मान का दिन है क्योंकि उन्होंने 'मेरे हिस्से का आकाश' से स्त्रियों का मान बढ़ाया है। स्त्री के लिए खिड़की के बराबर कोने भर आकाश होता है लेकिन उन्होंने कविता संग्रह से इस आकाश को कई गुना बढ़ा दिया। इस अवसर पर नईदुनिया के स्थानीय संपादक श्री जयदीप कर्णिक ने विशेष रूप से शुभकामनाएं व्यक्त की।
अतिथि परिचय संजय पटेल ने दिया। संचालन सुश्र ी स्मृति जोशी ने किया। रवींद्रनाथ टेगौर की पंक्तियां 'विपत्तियों से रक्षा कर, ये मेरी प्रार्थना नहीं..." के साथ श्रीमत ी ज्योति जैन ने आभार माना।