रंग व शब्दों से मृत्यु का कलात्मक साक्षात्कार

कलाकार प्रदीप कनिक की अनोखी चित्र प्रदर्शनी

स्मृति आदित्य
जीवन, मृत्यु, अहसास और कला। बड़ा विलक्षण संयोग है इन चार गहरे शब्दों में। जीवन को खूबसूरती से जिया जाए तो कला है। मृत्यु से भय का अहसास ना हो और उसमें से कलाबोध उपजे तो जीवन है। हर कला जीवन और मृत्यु के अहसास के बगैर अधूरी है। एक कलाकार के लिए उसकी कला ही जीवन है।

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इंदौर निवासी अंतरराष्ट्रीय स्तर के चित्रकार प्रदीप कनिक के लिए उनकी तूलिका और रंगों ने तब नए आयाम खोल दिए जब उन्होंने जिंदगी और मृत्यु के बीच ठिठके एक पल को अपनी मुट्ठ‍ी में थाम कर अहसास के कैनवास उतार दिया। प्रदीप कनिक ने रंगों, प्रतीकों, अहसासों और आकृतियों के माध्यम से उस नाजुक लम्हे को सजाया है जब उन्होंने जीवन के उस सच से सामना किया जिसे मृत्यु कहा जाता है।

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इस साक्षात्कार ने उनके कला मन को झकझोर कर रख दिया। भीषण दिल का दौरा, तत्काल चिकित्सा, गहन उपचार, बेकल प्रार्थना, अगाध प्रेम, अपनों की व्यथा, स्वयं के जीवन दर्शन, गहरे अहसासों और उमड़ती-घुमड़ती अनुभूतियों ने मिलकर उनसे ऐसी ‍अनूठी कृतियां और कविताएं लिखवाई कि वह कला जगत की अनुपम विरासत बन गई।

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24 अगस्त को जब कलाकार प्रदीप कनिक को दिल का दौरा पड़ा और यकायक सब कुछ थमता सा नजर आया तो वे जीवन के उस गंभीर अनुभव को अपने मानस में संचित करते चले गए। प्रबल इच्छा शक्ति और कलाकार पत्नी मंशा प्रदी प की स्नेहिल सेवा से स्वस्थ होते ही उन्होंने कड़वे यथार्थ को कल्पना के कोमल अभिस्पर्श से कैनवास पर उतार दिया।

इंदौर स्थित प्रीतमलाल दुआ सभागृह में 6 अप्रैल को उनकी इन्हीं नाजुक कृतियों और कविताओं की मर्मस्पर्शी प्रदर्शनी 'हार्ट एंड सोल' आयोजित की गई। दिलचस्प तथ्य यह है कि इस प्रदर्शनी का उद्‍घाटन सुप्रसिद्ध डॉक्टर केसी खरे व उनके इस लम्हे के साक्षी रहे कुशल चिकित्सक डॉ. राजीव खरे ने किया। डॉ. खरे ने इस अवसर पर कहा कि यह एक कलाकार का दूसरे कलाकार द्वारा सम्मान है।

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सचमुच एक चिकित्सक शरीर की अरबों बारीक कोशिकाओं, धमनियों और शिराओं के साथ एक कलाकार की तरह ही एकाग्रता से काम लेता है। डॉ. खरे इस प्रदर्शनी में अपनी समूची टीम के साथ न सिर्फ मौजूद रहे अपितु बड़े कौतुक के साथ एक-एक बारीकी को अनूठे अंदाज में साथियों को समझाते भी नजर आए। वाकई चिकित्सा जैसे गंभीर क्षेत्र में कला बोध भी शामिल हो जाए तो यह अहसास जन्म लेता है कि जिंदगी जब एक डॉक्टर के हाथ में होती है तो कितनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के साथ होती है।

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जिंदगी की डोर को अपनी अंगुलियों में थामे चित्रकार प्रदीप ने अपन े चित्रो ं मे ं आइसीयू के हर उपकरण को जीवंत बना दिया। उनके इन अद्‍भुत चित्रों में बार-बार वह समय ठि‍ठकता-थिरकता नजर आया जब पल भर के लिए सबकुछ थम सा गया था।

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जिंदगी और मृत्यु से संघर्ष करती उनकी 40 कृतियों के अलावा 8 कविताएं भी संवेदना के स्तर पर उस धरातल पर ले जाकर खड़ा करती है जहां से एक नई सोच, नए विचार और नए जीवन का आगाज होता है। एक कलाकार-कवि की अदम्य जिजीविषा का खूबसूरत उदाहरण है प्रदीप कनिक की अनूठी रचनाएं।

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