हॉल नं. 8 के साहित्य मंच पर राजकमल प्रकाशन द्वारा 'दूर देश ठिकाना'-पोलिश हिन्दी संवाद आयोजित किया गया जिसमें पोलैंड की हिन्दी भाषा में अनूदित तीन पुस्तकों यथा शाहों के शाह-2, कमरे तथा अन्य कहानियां, गलिशिया की कथाएं पर बातचीत की गई।
इस कार्यक्रम में पोलैंड से आई लेखिकाएं मारिया पुरी, मोनिका ब्रावाचिकी तथा अन्ना ट्रिस्ब्रमली उपस्थित थीं। लेखिकाओं से इनकी पुस्तक पर बातचीत करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग के हरिमोहन शर्मा तथा कवि गिरिराज किराडु मौजूद थे।
हॉल नं. 12-ए के ऑथर्स कॉर्नर 'कनवर्सेशन्स' पर सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय लेखक स्वामी पार्थ सारथी की पुस्तक 'वेदांत-द मॉडर्न वर्ल्ड' का लोकार्पण सांसद, राजीव शुक्ला तथा सिने कलाकार दिलीप ताहिल द्वारा किया गया। इस अवसर पर उपस्थित सांसद, राजीव शुक्ला ने कहा, 'पुस्तक मेले में युवाओं का पुस्तकों के प्रति प्रेम देखकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। युवा हमारे देश का भविष्य हैं तथा युवाओं की पुस्तकों में बढ़ती रुचि देश के लिए एक अच्छा संकेत है।'
इसी मंच पर 'युवा लेखक सम्मेलन' भी आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न भाषाओं के लेखक चॉनथॉन दीपू सिंह, रति अग्निहोत्री, संजीव पॉल डेक ने अपनी कविताओं का काव्य पाठ किया।
थीम पैवेलियन में लेखिका शारदा कोलिलुरू की पुस्तक 'वन डे इन काजीरंगा' का लोकार्पण एनबीटी के अध्यक्ष श्री ए. सेतुमाधवन द्वारा किया गया। पुस्तक के विषय में श्री सेतुमाधवन ने कहा, ''यह पुस्तक हमें संदेश देती है कि प्रकृति तथा प्राणियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।'' इस अवसर पर लेखक द्वारा पुस्तक की एक कहानी का पाठ भी किया गया।
बाल गतिविधियां
विश्व पुस्तक मेले में कार्टून-निन्जा और डोरो ने मचाई धूम
इस वर्ष नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के थीम विषय 'बाल साहित्य' को देखते हुए मेले में बच्चों के रोमांच के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। मेले में बच्चों के प्रिय कार्टून पात्रों निन्जा द हत्तौड़ी और डोरा-द एक्सप्लोरर का बच्चों के बीच धमाल देखने को मिला। बच्चे ही नहीं मेले में आए सभी आयु-वर्ग के आगंतुकों ने इन कार्टून पात्रों के साथ मस्ती की।
किड्स बब्बल में बच्चों की रोचक गतिविधियों में भाग लेने के लिए दिल्ली और जम्मू कश्मीर के राजकीय कन्या विद्यालय के बच्चे रंग-बिरंगी पोशाकों में आए तथा यहां आकर उन्होंने 'डोगरी, कश्मीरी तथा लद्दाखी' नृत्य प्रस्तुत किया जिसे देखकर वहां उपस्थित सभी बच्चे, शिक्षक एवं अभिभावक भी स्वयं को थिरकने से रोक नहीं पाए। पूरा वातावरण सांस्कृतिक रंग में रंग गया।