ओ, ईद के सरल चाँद

फाल्गुनी

Webdunia
ND
ओ, ईद के सरल चाँद
क्यों है इतना कठिन
तुम्हारा दीदार,

मेरे दिलबर की तरह
तुम हो या वो तुम्हारी तरह
कहना मुश्किल है
तुम्हारी धुँधलाती झलक की तरह।

वैसे एक ही तो बात है
तुम दोनों को ही
आकाश में होकर भी नहीं दिखना है
तुम दोनों को ही मेरे होकर भी
मेरे नहीं हो सकना है।

या खुदा, मत भेज फरिश्तों को
मुझ तक
नहीं पूरी कर पाएँगे वे मेरी फरियाद
नहीं ला सकेंगे वे उसे मेरे पास।

जिसके दिल में नहीं बचा
अब कोई कोना भी उदास
नहीं आती जिसे मेरी याद
अब कभी नहीं लौटेगा
जो बनकर मेरी प्यास।

ओ, ईद के सरल चाँद
तुम्हारा हल्का सा खुमार
आँखों में चढ़ा रहा शब भर,
वैसे ही मेरा चाँद रुका रहा
काँपती दुआओं में
थरथराते लब पर।

पलकों के खुलन े पर,
हथेलियों के जुड़ने पर
आँसुओं के बहने पर
हर बार बस याद आया
वही एक प्यार
ओ, ईद के सरल चाँद
क्यों है इतना कठिन
तुम्हारा दीदार?
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.