पूरे चांद की आधी रात

फाल्गुनी

Webdunia
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पूरे चांद की आधी रात में
एक मधुर कविता
पूरे मन से बने
हमारे अधूरे रिश्ते के नाम लिख रही हूं

चांद के चमकीले उजास में
सर्दीली रात में
तुम्हारे साथ मैं नहीं हूं लेकिन

रेशमी स्मृतियों की झालर
पलकों के किनारे पर झूल रही है
और आकुल आग्रह लिए
तुम्हारी एक कोमल याद
मेरे दिल में चूभ रही है..

चांद का सौन्दर्य
मेरी कत्थई आंखों में सिमट आया है
और तुम्हारा प्यार
मन का सितार बन कर झनझनाय ा है
चांद के साथ मेरे कमरे में उतर आया है...
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