हिन्दी कविता : मृत्यु से पहले

राकेशधर द्विवेदी
मृत्यु से पहले देखना चाहता हूं
हंसी उस सबसे गरीब व्यक्ति की
जो जीवन में हमेशा रोता रहा।
 

 
 
 
मृत्यु से पहले देखना चाहता हूं विजय
उस असहाय व्यक्ति की
जिसके लिए जीत दिवास्वप्न बनकर रह गई।
 
मृत्यु से पहले लड़ना चाहता हूं
सार्थक लड़ाई उस निर्बल व्यक्त‍ि के लिए
जिसने व्यवस्था के क्रूर थपेड़ों से दम तोड़ दिया।
 
मृत्यु से पहले लिखना चाहता हूं
एक कविता आम आदमी के लिए
जिसके गीत क्रांतिगीत बनकर क्रांति का आह्वान करें।

 
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