कुमार गौरव अजीतेन्दु की 2 कविताएं...

Webdunia
1. मैं दर्पण ही तो हूं तुम्हारा- छंदमुक्त
 
मैं दर्पण ही तो हूं तुम्हारा
संवारा है नित्य तुमको विभिन्न कोणों से
तुम में साकार होना मैंने स्वीकार लिया।
 
किंतु तुमने?
तुमने सदैव समझा मुझे वस्तु उपभोग की
बदलने को भी आतुर रहे क्षण-क्षण
गंदलाते रहे अपनी कलुषित कामनाओं से।
 
परिणाम स्वयं देख लो
आज विवश हो चुके हो धुंधलेपन के साये में
निस्तेजता से अनभिज्ञ, भ्रमित
कितनी दूर चले गए न सार्थकताओं से।
 
उफ!!!
काश! समय रहते समझ लिया होता
हमारा अस्तित्व समानुपाती है, व्युत्क्रमानुपाती नहीं।
 
******* 
 
2. मूल्य समर्पण का- छंदमुक्त
 
जब-जब तुम करीब लगे
अहसास कराया है दूरियों ने भी
अपनी मौजूदगी का।
 
दायरों ने दिखाई है धमक
ठठाकर हंसी हैं वर्जनाएं
अभिशप्त से विवश।
 
वापस लौट गए भाव
अंतस की उन्हीं गहराइयों में
जहां से आए थे वो कुछ सपने लेकर
जो अब चैतन्य नहीं।
 
ठीक भी है
लिप्साओं ने कब समझा है
मूल्य समर्पण का
दहकती भट्ठी सदैव मांगती है
नया-नया ईंधन।
 
मूढ़ तो वो है जो अर्पित करता है
नित्य शीतल जल ठूंठ को
प्रयास करता है
समुद्र के खारेपन के नाश का।
 
******* 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रसोई की इन 7 चीजों में छुपा है आपका स्किन ब्राइटनिंग सीक्रेट, तुरंत जानें इनके बेहतरीन फायदे

Health Alert : कहीं सेहत के लिए हानिकारक तो नहीं है सहजन की फली?

सॉफ्ट आटा गूंथने के 4 सही तरीके, रोटियां बनेंगी फूली हुई और मुलायम

आपके घर के किचन में छुपा है आयल फ्री त्वचा का राज, जानिए ये होममेड क्लींजर बनाने का तरीका

ऑफिस में बनाना चाहते हैं बढ़िया इमेज तो भूलकर भी ना करें ये गलतियां

सभी देखें

नवीनतम

नीबू हल्‍दी से कैंसर ठीक करने का नुस्‍खा बताकर फंसे नवजोत सिंह सिद्धू, ठोका 850 करोड़ का केस

सुबह नाश्ते में इस सफेद चीज का सेवन बढ़ाएगा आपकी याददाश्त, तेज दिमाग के लिए जरूर करें ये वाला नाश्ता

ये है अमिताभ बच्चन की फिटनेस का सीक्रेट: 82 की उम्र में फिट रहने के लिए खाते हैं इस पौधे की पत्ती

बढ़ता प्रदूषण आपकी स्किन को भी पहुंचा रहा है नुकसान, जानें कैसे करें अपनी स्किन केअर प्लान

क्या आपका ब्रश दे रहा है बीमारियों को न्योता, ओरल हेल्थ के लिए कब बदलना चाहिए ब्रश

अगला लेख