गज़ल : अटलजी के बिना आज की सुबह

Webdunia
-फखरुद्दीन सैफ़ी
 
बहुत उदास, बहुत निराश है आज की सुबह,
अपने लाड़ले के बिना हुई है आज की सुबह।
 
वो हरदिल अज़ीज़ सच्चा इंसान नहीं रहा,
अमावस्या की रात-सी है आज की सुबह।
 
पक्ष को भी प्यारा और विपक्ष को भी प्यारा,
कोई ऐसा एक राजनेता ढूंढती है आज की सुबह।
 
ना किसी की चिंता, ना किसी का डर,
पोखरण वाली सुबह याद करती है आज की सुबह।
 
दूसरों को शिक्षा देने वाले तो खूब मिलते हैं,
कोई राजधर्म की शिक्षा देने वाला तलाशती है आज की सुबह।
 
कविता, सज्जनता, इंसानियत सब हैं उदास,
अटल जैसा कोई भला मानस ढूंढती है आज की सुबह।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख