प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
नवरात्रि पर्व में पूजा की महिमा मां बड़ी तुम्हारी है
हर गाँव शहर , घर घर जन जन में पूजा की तैयारी है
सबके मन भाव सुमन विकसे , मौसम उमंग से पुलकित है
हर मंदिर मढ़िया देवालय में , भीड़ भक्त की भारी है
सात्विक मन की पूजा सबकी होती अक्सर है फलदायी
संसार तुम्हारी करुणा का , मां युग युग से आभारी है
श्रद्धा के सुमन भरा करते , जीवन में मधुर सुगंध सदा
आशीष चाहता इससे मां , तेरा हर चरण पुजारी है
अनुराग और विश्वास जिन्हें है अडिग तुम्हारे चरणों में
उन पर करुणा की वर्षा करने की माता अब बारी है
कई रूपों , नामों धामों में , है व्याप्त तुम्हारी चेतनता
अति भव्य शक्ति , गुण की ,महिमा तव जग में हे माँ न्यारी है