हिन्दी कविता : भूख...

सुशील कुमार शर्मा
(रामेन्द्र कुमार की कहानी END and MEANS के हिस्से का काव्य रूपांतरण)


 
बिरजू, 
एक चोर!
 
सिद्ध स्वामी अरवसु के, 
प्रवचन का पड़ा प्रभाव, 
बन गया स्वामी का शिष्य।
 
एक दिन स्वामी के आदेश पर रात में, 
ढूंढने गया लकड़ी,
एक गांव में कड़कड़ाती ठंड थी, 
बंद थे दरवाजे सभी घरों के,
सिर्फ एक झोपड़ी से रोशनी आ रही थी।
 
देखा एक अजीब दृश्य,
एक औरत चूल्हे के सामने बैठी थी, 
और गर्म तवे पर छिड़क रही थी पानी बार-बार, 
एक कोने में भूखे-नंगे बच्चे सिमटे सो रहे थे।
 
बिरजू ने पूछा- देवी यह क्या कर रही हो? 
बोली- घर में नहीं है अन्न का दाना, 
तवे पर पानी छिड़ककर, 
उन्हें आभास दिला रही हूं, 
कि खाना पक रहा है।
 
और वो सो जाएंगे, 
इस आभास में, 
भूखे पेट, 
नि:शब्द।
 
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