बुद्ध को दो शब्द : सुनो सिद्धार्थ

निधि सक्सेना
सुनो सिद्धार्थ
धरा साक्षी है
तुम्हारे जाने के बाद
मैं भी कुशा पर ही सोई
त्यागा हर ऐश्वर्य
हर कामना
पहना पीत वस्त्र.. 
भिक्षा हेतु तुम्हारी तरह ही भटकी, तपी
भेद बस इतना कि 
तुमने बाह्य द्वार खटखटाए
और मैं तपती भटकती रही भीतर..
इस कठिन तप और वेदना के उपरांत 
तुम बुद्ध हुए, दीप्त हुए
फिर मैं क्यों इस दीपक के नीचे का अंधकार मात्र रही..
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

रोम-रोम में राम बसे, भक्ति में डूबे इन शुभकामना संदेशों को भेज कर मनाएं राम जन्मोत्सव

अपने भीतर के राम को पहचानिए! गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

इन लोगों के लिए वरदान है कुट्टू का आटा, ग्लूटेन-फ्री होने के साथ और भी हैं कई फायदे

क्या गर्मियों में गुड़ खाने से सेहत को होता है नुकसान, डाइट में शामिल करने से पहले जान लें

गर्मियों में अमृत के समान है गोंद कतीरा का सेवन, जानिए क्या हैं फायदे

सभी देखें

नवीनतम

गर्मी में वैक्सिंग के बाद निकल आते हैं दाने, राहत दिलाएंगे ये नुस्खे

क्या पीरियड्स के दौरान कच्चे आम खाने से होता है नुकसान, जानिए सच्चाई

गैरजरूरी को तोड़ना और जरूरी को बचा लेने का प्रयास बताती है किताब विहान की आहट

वर्ल्ड हेल्थ डे 2025: अपनों को भेजें सेहत से जुड़े ये खास कोट्स, स्लोगन और शुभकामना संदेश

7 अप्रैल वर्ल्ड हेल्थ डे: जानें इतिहास, 2025 की थीम और स्वस्थ रहने की 10 खास बातें

अगला लेख