न शिकायत है, न ही रोए

Webdunia
ये उम्र तान करके सोए हैं,
थकान पांव-भर जो ढोए हैं।
 
किसी सड़क पे नहीं मिलती है,
सुबह जो गर्द में ये बोए हैं।
 
लोग कहते हैं कारवां चुप है,
सराय धुंध में समोए हैं।
 
नाव कब तक संभालते मोहसिम,
पहाड़ भी जहां डुबोए हैं।
 
रहन की छत है, ब्याज का बिस्तर,
न शिकायत है, न ही रोए हैं।
 
फफोले प्यार के निकल आए,
न जाने जिस्म कहां धोए हैं।
 
न कोई खौफ है अंधेरों से,
न कोई रोशनी संजोए है।
 
एक मुर्दा शहर-सा मौसम है,
एक मुर्दे की तरह सोए हैं।
 
ये कहानी कहीं छपे न छपे,
कलम की नोक हम भिगोए हैं।
प्रेम जी
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

खुद की तलाश में प्लान करें एक शानदार सोलो ट्रिप, ये जगहें रहेंगी शानदार

5 हजार वर्ष तक जिंदा रहने का नुस्खा, जानकर चौंक जाएंगे Video

योग के अनुसार प्राणायाम करने के क्या हैं 6 चमत्कारी फायदे, आप भी 5 मिनट रोज करें

दाबेली महाराष्ट्र की या गुजरात की, किसका दावा है सही?

एलोवेरा के साथ मिलाकर लगाएं ये चीजें, मजबूत होंगे बाल, आ जाएगी गजब की शाइन

सभी देखें

नवीनतम

टीचर और छात्र का चटपटा जोक : कौन सा कीड़ा गर्मी में सबसे ज्यादा उड़ता है?

इन टेस्ट से करें लिवर की हिफाजत, समय रहते पहचानें बीमारियों का खतरा

विश्व यकृत दिवस 2025: जानें लिवर रोग के कारण, निवारण और उपचार

नमक-मिर्च वाली केरी खाने से पहुंचा रहे हैं सेहत को नुकसान, हो जाइये सावधान

वर्ल्ड लिवर डे 2025: कैसे समझे इस रोग को, जानें लक्षण, प्रकार और 2025 की थीम

अगला लेख