हिन्दी कविता : चीन से लड़ो लड़ाई

सुशील कुमार शर्मा
हिन्दी चीनी भाई भाई।
किसने यह बात चलाई।


 

 
धोखा दगा चीन की फितरत।
सीधे कभी लड़े न लड़ाई।
 
गुरु है चीन पाक है चेला।
दोनों की हो गई है सगाई।
 
जब देखो तब वीटो करता।
अज़हर मसूद है इसका भाई।
 
कर दो नेस्तनाबूत चीन को।
इसके सामानों की करो विदाई।
 
अगर न खरीदेंगे चीनी वस्तु
अर्थ व्यवस्था इसकी चरमराई।
 
रो रो कर ये पांव लगेगा।
फिर न करेगा पाक की अगुवाई।
 
कसम तुम्हे है भारतीय बंधू।
आओ लड़े अब चीन से लड़ाई।
 
दिवाली पर चीनी झालर।
जले न किसी भी घर मेरे भाई।
 
चीनी सामानों को ना कह दो।
कर दो इसकी मूड़ पिटाई।
 
आओ अब स्वदेशी अपनाएं।
हिन्दी चीनी नहीं हैं भाई भाई।
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