रामधारी सिंह दिनकर की 'चाँद' पर कविता : रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद

Webdunia
रामधारी सिंह दिनकर की 'चाँद' पर कविता

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।


जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूं देख मनु को जनमते-मरते
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।

आदमी का स्वप्न? है वह बुलबुला जल का
आज उठता और कल फिर फूट जाता है
किन्तु, फिर भी धन्य ठहरा आदमी ही तो?
बुलबुलों से खेलता, कविता बनाता है।

मैं न बोला किन्तु मेरी रागिनी बोली,
देख फिर से चाँद! मुझको जानता है तू?
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यही पानी?
आग को भी क्या नहीं पहचानता है तू?

मैं न वह जो स्वप्न पर केवल सही करते,
आग में उसको गला लोहा बनाता हूं,
और उस पर नींव रखता हूं नए घर की,
इस तरह दीवार फौलादी उठाता हूं।

मनु नहीं, मनु-पुत्र है यह सामने, जिसकी
कल्पना की जीभ में भी धार होती है,
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल,
स्वप्न के भी हाथ में तलवार होती है।

स्वर्ग के सम्राट को जाकर खबर कर दे-
रोज ही आकाश चढ़ते जा रहे हैं वे,
रोकिए, जैसे बने इन स्वप्नवालों को,
स्वर्ग की ही ओर बढ़ते आ रहे हैं वे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

वो कहानी, जो हर भारतीय को याद है: 15 अगस्त की गाथा

इस राखी भाई को खिलाएं ये खास मिठाइयां: घर पर बनाना है आसान

रोज रात सोने से पहले पिएं ये 5 ड्रिंक्स, डाइजेशन और इम्युनिटी के लिए हैं बेस्ट

रक्षा बंधन पर इस बार बाजार में आई है ये 5 ट्रेंडी राखियां, जरूर करें ट्राई

नवम्बर में धरती पर हमला करेंगे एलियंस, वैज्ञानिकों ने भी दे दिए संकेत! क्या सच होगी बाबा वेंगा की भविष्यवाणी?

सभी देखें

नवीनतम

पेट की चर्बी का दुश्मन! ये एक चीज़ आज से ही खाना शुरू कर दें, फिर देखें कमाल!

भारत में मिला दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड ग्रुप 'CRIB': चिकित्सा जगत में ऐतिहासिक खोज!

रक्षा बंधन पर भाई बहन एक दूसरे से हैं दूर तो ऐसे मनाएं ये राखी का त्योहार

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस: भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट

रक्षाबंधन, राखी पर शेयर करें ये 10 खूबसूरत संदेश

अगला लेख