- प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
मोरि नैया लगा दो पार मैया जीवन की
है विनती बारंबार मैया दुखिया मन की
तुम हो आदिशक्ति हे माता
सबका तुमसे सच्चा नाता
सब पर कृपा तुम्हारी जग में
महिमा अपरम्पार तुम्हारे आंगन की
हम आये तुम्हारे द्वार , कामना ले मन की
कोई न किसी का संग सँगाती
जलती जाती जीवन बाती
घट घट की माँ तुम्हें खबर सब
अभिलाषा एक बार तुम्हारे दर्शन की
दे दो माँ आधार , शरण दे चरणन की
झूठे जग के रिश्ते नाते
कोई किसी के काम न आते
करुणामयी माँ तुम जग तारिणी
झूठा है संसार चलन जहाँ अनबन की
माँ नैया है मझधार भँवर में जीवन की
कौन करे उस पार नैया जीवन की
मोरि नैया लगा दो पार मैया जीवन की
है विनती बारंबार मैया दुखिया मन की