कविता दिवस पर एक कविता : लिख दूँ अधर की स्याही से

निधि जैन
आओ 
लिख दूँ अधर की स्याही से 
तुम्हारी देह रूपी काग़ज़ पर 
मूक कविताएँ 
जिनके महकते  लफ़्ज़ 
तुम्हारी सुंदरता को 
द्विगुणित कर देंगे 
 
माथे की स्याही अमिट होगी 
अधरों पर  फैली  स्मित होगी 
ग्रीवा  पर  कविता  लिखते  ही 
बल  खाने  लगोगी 
देखो ,देखो ना हर्फ़  का आकार  बदलने  लगा !! 
 
सम्भालो मुझको ,
आँचल  पर  लिखते  क़लम  बहकने  लगी 
और यह क्या ? 
नाभि  तक जा  कर  अधर  स्याही 
स्याही न रही बन गई फिर से 
मूक  कविता  ...
मूक भी कभी बोले  हैं  भला !!! 
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या आप भी शुभांशु शुक्ला की तरह एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, जानिए अंतरिक्ष में जाने के लिए किस डिग्री और योग्यता की है जरूरत

हार्ट अटैक से एक महीने पहले बॉडी देती है ये 7 सिग्नल, कहीं आप तो नहीं कर रहे अनदेखा?

बाजार में कितने रुपए का मिलता है ब्लैक वॉटर? क्या हर व्यक्ति पी सकता है ये पानी?

बालों और त्वचा के लिए अमृत है आंवला, जानिए सेवन का सही तरीका

सफेद चीनी छोड़ने के 6 जबरदस्त फायदे, सेहत से जुड़ी हर परेशानी हो सकती है दूर

सभी देखें

नवीनतम

क्या संविधान से हटाए जा सकते हैं ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’ जैसे शब्द? क्या हैं संविधान संशोधन के नियम

सिरदर्द से तुरंत राहत पाने के लिए पीएं ये 10 नैचुरल और स्ट्रेस बस्टर ड्रिंक्स

'आ' से अपनी बेटी के लिए चुनिए सुन्दर नाम, अर्थ जानकर हर कोई करेगा तारीफ

आषाढ़ अष्टाह्निका विधान क्या है, क्यों मनाया जाता है जैन धर्म में यह पर्व

आरओ के पानी से भी बेहतर घर पर अल्कलाइन वाटर कैसे बनाएं?

अगला लेख