हिन्दी कविता : सुबह

संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
सुप्रभात बतलाता तालाब को 
अलविदा करता रात को 
 
खिले कमल और 
सूरज की किरणों की लालिमा 
लगती चुनर पहनी हो
फिजाओं ने गुलाबी 
खिलते कमल लगते 
तालाब के नीर ने 
लगाई हो जैसे 
पैरों में महावार
 
भोर का तारा 
छुप गया उषा के आंचल 
पंछी कलरव,
मां की मीठी पुकार 
 
सच अब तो सुबह हो गई
श्रम के पांव चलने लगे 
अपने निर्धारित लक्ष्य 
और हर दिन की तरह सूरज देता  गया 
धरा पर ऊर्जा 
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

इन 6 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए आम, जानिए चौंकाने वाले कारण

बहुत भाग्यशाली होते हैं इन 5 नामाक्षरों के लोग, खुशियों से भरा रहता है जीवन, चैक करिए क्या आपका नाम है शामिल

करोड़पति होते हैं इन 5 नामाक्षरों के जातक, जिंदगी में बरसता है पैसा

लाइफ, नेचर और हैप्पीनेस पर रस्किन बॉन्ड के 20 मोटिवेशनल कोट्स

ब्लड प्रेशर को नैचुरली कंट्रोल में रखने वाले ये 10 सुपरफूड्स बदल सकते हैं आपका हेल्थ गेम, जानिए कैसे

सभी देखें

नवीनतम

ऑपरेशन सिन्दूर पर निबंध: आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग संकल्प, देश के माथे पर जीत का तिलक

श्रीमती मालती जोशी की स्मृति में दो दिवसीय साहित्य का आयोजन

कच्चे दूध के साथ इस चीज को मिलाकर तैयार करें फेस पैक, पार्लर से बेहतर मिलेंगे रिजल्ट

लहसुन और प्याज खाने के फायदे

मिस वर्ल्ड 2025 के ताज से जुड़ी ये 7 बातें जो बनाती हैं इसे बहुत खास, जानिए क्राउन कीमत से लेकर हर डिटेल

अगला लेख