हिन्दी कविता : लगता है...

राकेशधर द्विवेदी
लगता है कि 
आसमान में चांद 
छुपकर बादलों की 
ओट में छुप गया है
शायद तुम छत पर निकल आई हो। 
लगता है कि मोतियों की 
माला इन्द्रधनुष बन 
नीले आकाश पर छा गई है 
शायद तुम खिलखिलाई हो। 
लगता है आसमान में 
काले मेघ छा गए हैं
शायद तुमने अपने लंबे काले गेसुओं को 
लहराया है। 
लगता है कि
ओस की बूंद गिर कर 
सूरज की पहली किरण के साथ 
फूलों पर गिरकर मुस्कराई है 
या फिर तुमने संगीत का कोई मधुर स्वर गाया है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अपनों का दिन बनाएं मंगलमय, भेजें सुन्दर आध्यात्मिक सुप्रभात् संदेश

रात को शहद में भिगोकर रख दें यह एक चीज, सुबह खाने से मिलेंगे सेहत को अनगिनत फायदे

इम्युनिटी बढ़ाने के साथ दिन भर तरोताजा रखेंगे ये गोल्डन आइस क्यूब, जानिए कैसे तैयार करें

कॉर्टिसोल हार्मोन को दुरुस्त करने के लिए डाईट में शामिल करें ये 4 चीजें, स्ट्रेस को कहें बाय-बाय

क्या प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने से जल्दी आता है बुढ़ापा, जानिए सच्चाई

सभी देखें

नवीनतम

23 मार्च भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु का शहीदी दिवस

वेंटिलेटर पर रिफिल

विश्व मौसम विज्ञान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? जानें इस वर्ष की थीम

कवि विनोद कुमार शुक्ल, ज्ञानपीठ सम्मान की खबर और उनसे मिलने की एक चाह

हर मौसम में काम आएंगे पानी के संकट से बचने के ये 10 तरीके

अगला लेख