थप्पड़

श्रवण गर्ग
पता ही नहीं चल पाया हमें
 
हो गए कब हाथ सुन्न हमारे !
 
उठ ही नहीं पा रहे हैं झुके कंधों से ऊपर !
 
उनके हाथ तो रहते हैं हमेशा ऊपर ही
 
सलाम बजाने के लिए कभी तो
 
मारने के लिए मरे हुए लोगों को
 
नीचे उतरते ही नहीं कभी जमीन तक !
 
हमारे हाथ तो सने ही रहते हैं मिट्टी में,
 
ताकते रहते हैं पैर कोई लिपटने के लिए
 
या फिर उलझते रहते हैं फटी हुई जेबों में
 
ढूंढने के लिए कुछ बुझे हुए सिक्के
 
डाले ही नहीं गए थे जो कभी वहां !
 
तो क्या अलग हैं हाथ हमारे हाथों से उनके ?
 
फिर तो होंगी जेबें भी उनकी अलग हमसे !
 
पैर भी होंगे नहीं हमारी तरह लड़खड़ाते से !
 
हां, वे तो चलते भी नहीं होंगे हमारी तरह से !
 
सब कुछ अलग है उनके और हमारे बीच ?
 
हाथ, पैर, जेबें, जुराबें, जोरुएं, जमीन-जायदाद !
 
तो क्या वे रोते भी हैं हमसे अलग ?
 
कौन उठाता होगा हाथ उन पर फिर ?
 
आसान नहीं होता हाथ का ऊपर उठना
 
समेटना पड़ती है क्रूरता समूचे ब्रह्मांड की फेफड़ों में
 
नहीं कर सकता है हर कोई यह काम आसानी से !
 
बस ‘चुने' हुए लोग ही कर सकते हैं इसे
 
हम चुने हुए नहीं हैं, बस ‘चुनने‘ के लिए बने हैं
 
रखना पड़ते हैं उसके लिए हाथ हमेशा नीचे, जमीन पर !
 
(कविता को ‘कलेक्टर’ शीर्षक के साथ भी पढ़ा जा सकता है)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

सावन में हुआ है बेटे का जन्म तो लाड़ले को दीजिए शिव से प्रभावित नाम, जीवन पर बना रहेगा बाबा का आशीर्वाद

बारिश के मौसम में साधारण दूध की चाय नहीं, बबल टी करें ट्राई, मानसून के लिए परफेक्ट हैं ये 7 बबल टी ऑप्शन्स

इस मानसून में काढ़ा क्यों है सबसे असरदार इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक? जानिए बॉडी में कैसे करता है ये काम

सभी देखें

नवीनतम

क्या हमेशा मल्टी ग्रेन आटे की रोटी खाना है सेहतमंद, जान लें ये जरूरी बात

7 चौंकाने वाले असर जो खाना स्किप करने से आपकी बॉडी पर पड़ते हैं, जानिए क्या कहती है हेल्थ साइंस

मानसून में डेंगू के खतरे से बचने के लिए आज ही अपना लें ये 5 आसान घरेलु उपाय

ऑपरेशन सिंदूर पर शानदार कविता: भारत के स्वाभिमान और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत पंक्तियां

शताब्दी वर्ष में समाज परिवर्तन के लिए सक्रिय संघ

अगला लेख