कविता : चांद मेरा

Webdunia
रश्मि डी जैन
 
चांदनी रात थी वो...
देख रहा था मैं 
चांद को टकटकी लगाए...
 
लो छुप गया चांद भी बदलियों में... 
दिल में लिए सिलसिला
तुम्हारी यादों का... 
 
सोचता रहा तुम्हें
नींद के आगोश में चले जाने तक 
महसूस करता रहा तुम्हें.. 
प्यार से सहलाता रहा...
 
खुशबू तुम्हारे बदन की 
करने लगी मदहोश मुझे...
जुल्फे घनेरी में 
छुपने लगा था चांद मेरा...
 
समीर के हर झौंके के साथ
मिलती रही आहट मुझे
तुम्हारे आने की, पर तुम न आई... 
 
करते-करते इंतजार तुम्हारा
दस्तक दे दी भोर की लालिमा ने... 
ये दिल भी कितना 
पागल है तुम्हारे प्यार में... 
 
जो करता है तुम्हारा दिन रात इंतज़ार...
आ जाओ एक बार, आ भी जाओ न..
न कराओ और इंतजार...
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

Easy Feetcare at Home : एल्युमिनियम फॉयल को पैरों पर लपेटने का ये नुस्खा आपको चौंका देगा

जानिए नवजोत सिद्धू के पत्नी के कैंसर फ्री होने वाले दावे पर क्या बोले डॉक्टर्स और एक्सपर्ट

Winter Fashion : सर्दियों में परफेक्ट लुक के लिए इस तरह करें ओवरसाइज्ड कपड़ों को स्टाइल

सभी देखें

नवीनतम

फनी बाल गीत : आज नहीं तो कल पहुंचुंगी

घरेलू नुस्खा : इस DIY हेयर मास्क में है बेजान बालों की समस्या का समाधान

Constitution Day 2024: 26 नवंबर, राष्ट्रीय संविधान दिवस से जुड़े 10 रोचक तथ्य

C-Section के बाद नहीं कम हो रही बैली, इन ट्रिक्स को अपनाने से मिलेगा फायदा

राइस वॉटर से बने इस कोरियन हेयर केयर मास्क से मिलेंगे घर पर ही सलून जैसे सॉफ्ट और सिल्की बाल

अगला लेख