कविता : हिन्दी ही पहचान हमारी

संजय जोशी 'सजग'
हम सबकी प्यारी,
लगती सबसे न्यारी।
 
कश्मीर से कन्याकुमारी,
राष्ट्रभाषा हमारी।
 
साहित्य की फुलवारी,
सरल-सुबोध पर है भारी।
 
अंग्रेजी से जंग जारी,
सम्मान की है अधिकारी।
 
जन-जन की हो दुलारी,
हिन्दी ही पहचान हमारी।

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