हिन्दी कविता : दंगाइयों से कह दो

राकेशधर द्विवेदी
मैं हिन्दू था
वह मुसलमान थी
 

 
हम दोनों के बीच
एक बच्चा था
जिसका नाम हिन्दुस्तान था
 
मेरे प्यारे शहर में
दंगा फैल गया
 
मैं दंगाइयों से
एक बात कहना
चाहता हूं
 
यदि तुम हिन्दू को मारोगे
तो हिन्दुस्तान रोएगा
 
यदि तुम मुस्लिम को मारोगे
तो हिन्दुस्तान रोएगा
 
तुम इस सत्य को
क्यों नहीं समझ पाते हो
हिन्दुस्तान को बार-बार
क्यों रुलाते हो। 
 
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